सिंहदेव के गार्बेज कैफे के कारण अंबिकापुर टॉप पर

Coronavirus : विकास में पिछड़ा पर सफाई में 5 star रेटिंग वाला देश का अव्‍वल शहर

Publish: May 20, 2020, 09:18 AM IST

courtesy:  jagran.com
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देश के सबसे स्‍वच्‍छ शहर का तमगा हासिल करने वाला इंदौर अभी कोरोना संक्रमण में देश के शीर्ष शहरों में शुमार हो चुका है। जबकि कचरा मुक्‍त शहरों की सूची में दूसरे स्‍थान पर रहा छत्‍तीसगढ़ का अपेक्षाकृत पिछड़ा इलाका अं‍बिकापुर इस बार टॉप पर है। छत्तीसगढ़ का यह आदिवासी शहर देश भर में इंदौर, नवी मुंबई, मैसूर, राजकोट, सूरत जैसे पांच बड़े शहरों का मुक़ाबला करते हुए अव्वल आया है तो इसका कारण छत्‍तीसगढ़ के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और क्षेत्रीय विधायक टीएस सिंहदेव की प्लास्टिक कचरा लाओ और भरपेट भोजन खाओ जैसे नवाचार हैं।  

जी हां, अंबिकापुर देश का ऐसा पहला शहर है जिसने अपने यहां गार्बेज कैफे की शुरुआत की। ऐसा कैफे जहां प्लास्टिक कचरा लाने पर खाना दिया जाता है। अंबिकापुर नगर निगम ने यह पहल शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए की। अक्‍टूबर 2019 में पहले दिन पांच लोगों ने प्लास्टिक कचरा दिया था तब उद्घाटन के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इन्‍हीं लोगों के साथ खाना खाया था। कैफै में 1 किलो प्लास्टिक लाने पर खाने में दो सब्जी, चार रोटी, हाफ प्लेट चावल, दाल, सलाद, अचार, पापड़, मीठा दही दिया जाता है। आधा किलो प्लास्टिक लाने पर नाश्ते में समोसा, आलू चाप, ब्रेड चाप, इडली परोसी जाती है।

यही कारण है कि शहर में सफाई और कचरा उठाना एक मुहिम बन गई और मंगलवार दोपहर जब आवासीय व शहरी मंत्रालय द्वारा कचरा मुक्त शहरों की रेटिंग जारी की गई तो उसमें सबसे ज़्यादा पांच स्टार रेटिंग अंबिकापुर को मिली।

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आवासीय व शहरी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पिछली रिपोर्ट में अंबिकापुर को दूसरा स्थान ज़रूर मिला था लेकिन इसके बावजूद अंबिकापुर के स्वच्छता के मानकों पर इतना उम्दा प्रदर्शन गौरवान्वित तो करता ही है लेकिन इसके साथ ही यह उतना ही अचंभित भी करता है। अचंभित करने के दो बड़े कारण हैं। पहला, अंबिकापुर के एक आदिवासी इलाका होने के बावजूद उसका प्रदर्शन हैरान करने वाला है। दूसरा, अंबिकापुर कचरा मुक्त पांच स्टार रेटिंग के बाकी पांचों शहरों की तुलना में इकलौता सुदूर इलाका है। अपने राज्य की राजधानी रायपुर से अंबिकापुर की दूरी लगभग तीन सौ किलोमीटर है। वहीं बिलासपुर और रायगढ़ से इसकी दूरी लगभग दो सौ किलोमीटर है।

विकास के पैमाने पर पिछड़ता तो स्वछता के मानकों पर पछाड़ता अंबिकापुर

अंबिकापुर चूंकि एक आदिवासी इलाका है, ऐसे में ज़ाहिर है कि अंबिकापुर तमाम दूसरे आदिवासी इलाकों के जैसे ही विकास के पैमाने पर पीछे है। विकास के पैमाने पर अंबिकापुर की हालत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरगुजा जिला का मुख्यालय अंबिकापुर 3 जून 2006 को ही रेल मार्ग से जुड़ पाया। इससे पहले भारतीय रेल जिसे भारत की लाइफलाइन कहा जता है,  उसके माध्यम से भी अंबिकापुर नहीं पहुंचा जा सकता था। आज भी अंबिकापुर का नाम भारत के उन चुनिंदा शहरों में है, जहां देश की राजधानी दिल्ली या किसी भी अन्य बड़े शहर मसलन मुंबई , चेन्नई , कोलकाता आदि किसी भी बड़े शहर से सीधे रेल से पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन हां , विकास का मोहताज होने के बावजूद अंबिकापुर आज देश का सबसे स्वच्छ शहर बन गया है।

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कचरा और वेस्ट वाटर के पुनरचक्रण की प्रणाली

स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट की ब्रीफिंग के दौरान मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर ने स्वच्छता के लिए जिन मानकों का ज़िक्र किया है, उसमें अंबिकापुर निश्चय ही अव्वल होने के योग्य है। अंबिकापुर में महिलाओं द्वारा संचालित स्व - सहायता समूहों के द्वारा कचरा को एकत्रित करना यानी गार्बेज कलेक्शन का काम डोर टू डोर किया जाता है और साथ ही रीसाइकल भी किया जाता है। सिर्फ कचरों का ही नहीं वेस्ट वाटर के भी पुनर्चक्रण की प्रणाली भी अंबिकापुर में विकसित की गई है। ख़ास बात यह है कि छत्तीसगढ़ के बाकी शहर भी अंबिकापुर की प्रणाली और पदचिन्हों पर चलने का प्रयास कर रहे हैं जिससे पूरे राज्य को ही नहीं बल्कि पूरे देश को सीख लेनी चाहिए।