गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर एक लाख लोगों के गहनों की नीलामी, वरुण गांधी ने की तीखी आलोचना

बीजेपी वरुण गांधी ने लिखा कि अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रखते वक़्त पुरुष का आत्मसम्मान भी गिरवी हो जाता है, गहनों की नीलामी पर बोले- क्या यही नए भारत की परिकल्पना है

Updated: Feb 14, 2022, 05:34 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
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नई दिल्ली। इस हफ्ते का बुधवार अधिकांश लोगों के लिए आम दिनों की तरह ही है। हालांकि, देश के एक लाख परिवारों के लिए यह बेहद कष्टदायक साबित होगा। ये ऐसे परिवार हैं जिन्होंने कोरोना काल में आजीविका चलाने के लिए सोना गिरवी रखा और चुका नहीं पाए। बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने इस कदम की तीखी आलोचना की है।

वरुण गांधी ने एक ट्वीट में लिखा है कि, 'अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रखते वक्त पुरुष का आत्मसम्मान भी गिरवी हो जाता है। किसी भी हिंदुस्तानी का जेवर या मकान गिरवी रखना अंतिम विकल्प होता है। महामारी और मंहगाई की दोहरी मार झेल रहे आम भारतीयों को यह असंवेदनशीलता अंदर तक तोड़ देगी। क्या यही नए भारत के निर्माण की परिकल्पना है?' 

गोल्ड लोन सोने के गहनों के बदले दिया जाता है। इसमें कर्ज लेने वाले को गहने की कीमत का करीब 70 फीसदी तक लोन मिलता है। इस मामले में कर्जधारक के लिए लोन मिलना जितना आसान है, उतना ही आसान कर्ज देने वाले के लिए इसकी वसूली है। डिफॉल्ट करने पर सोना बेचकर कर्ज वसूल लेते हैं। बुधवार को गोल्ड लोन देने वाले NBFC और बैंक सोना नीलाम करने जा रहे हैं। संगठित गोल्ड लोन बाजार में आधे से अधिक हिस्सा गोल्ड लोन NBFC मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस का है।

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मनीलाइफ फाउंडेशन की संस्थापक सुचेता दलाल कहती हैं, कोरोना काल में लाखों लोगों का रोजगार चला गया अथवा उनका कारोबार चौपट हो गया। ऐसे लोगों ने सोना गिरवी रखकर लोन लिया था, लेकिन चुका नहीं पा रहे हैं। यह यह ऐसी आर्थिक तंगी है जो दिखती नहीं है। RBI के आंकड़े बताते हैं कि कोरोनाकाल में देश में गोल्ड लोन का चलन तेजी से बढ़ा। जनवरी 2020 यानी कोविड से ठीक पहले देश के वाणिज्यिक बैंकों के कुल गोल्ड लोन 29,355 करोड़ रुपए था। यह दो साल में ढाई गुना होकर 70,871 करोड़ के पार हो गया।

जानेमाने अर्थशास्त्री प्रो अरुण कुमार कहते हैं, लोग लोन तभी लेते हैं जब उन्हें आवश्यकता होती है। कोरोना की दूसरी लहर में कई लोगों की नौकरी और रोजगार छिन गए। बीमारी में भी काफी पैसा खर्च हुआ। प्राइस का सर्वे बताता है कि 2016 के मुकाबले देश के 60 फीसदी निचले तबके की आय गिरी है। यही तबका सबसे अधिक गोल्ड लोन लेता है। अब आमदनी न होने से कर्ज चुका नहीं पा रहे हैं। यह माइक्रो लेवल पर आर्थिक तंगी को दर्शाता है।