देश में अरबपतियों की संपत्ति और गरीबों की संख्या दोनों हुई दोगुनी: ऑक्सफैम

ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 84 फीसदी परिवारों की आय में गिरावट हुई है, इस दौरान देश में अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई

Updated: Jan 17, 2022, 03:02 PM IST

नई दिल्ली। दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन के लिए कार्य करने वाली संस्था Oxfam ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। संस्था ने बताया है कि महामारी के दो सालों में दुनिया टॉप दस अमीरों की संपत्ति दोगुनी हो गई है। ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा है कि यहां भी कोरोना महामारी के दौरान अमीरों की संपत्ति दोगुनी से ज्यादा हो गई, लेकिन, दूसरी ओर एक बड़ी जनसंख्या महामारी और गरीबी से जूझती रही है।

दावोस में हो रहे वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में ग्लोबल Oxfam Davos report of 2022 में ये सारे अध्ययन सामने आए हैं। ब्लूमबर्ग ने ऑक्सफैम की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पिछले साल जब देश भयंकर दूसरी लहर से जूझ रहा था, लोग स्वास्थ्य सुविधाएं पर न मिल पाने के कारण मर रहे थे और श्मशानें लाशों से पटी हुई थीं, तब देश में 40 नए लोग अरबपति बन गए। इन लोगों के पास कुल मिलाकर 720 बिलियन डॉलर की संपत्ति है। जो भारत की 40 फीसदी जनसंख्या की कुल संपत्ति से भी ज्यादा है।

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भारत में अरबपतियों की संख्या इतनी हो चुकी है कि अगर फ्रांस, स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड- तीनों देश के अरबपतियों को जोड़ लें तो भी उनकी संख्या भारत से कम होगी। देश के 98 सर्वाधिक अमीर लोगों के पास करीब 49.27 लाख करोड़ की संपत्ति है। ऑक्सफैम के CEO अमिताभ बेहर कहते हैं कि यह रिपोर्ट असमानता की कठोर वास्तविकता की ओर इशारा करती है। यह असमानता प्रत्येक दिन 21,000 लोग या हर चार सेकंड में एक व्यक्ति को मृत्यु की ओर धकेल देती है। 

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना महामारी के दौरान अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपये हो गई। इस बीच 4.6 करोड़ से अधिक भारतीय 2020 में अत्यधिक गरीबी वाले श्रेणी में जाने का अनुमान है। भारत में गरीब एवं वंचितों की तुलना में अमीरों को बढ़ावा देने वाली संचालित अर्थव्यवस्था से भयावह आर्थिक असमानता की स्थिति उत्पन्न हुई है। संस्था ने भारत सरकार को सलाह द है कि सपंत्ति वितरण की अपनी नीतियों को संशोधित करने पर ध्यान दें।

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रिपोर्ट की मानें तो 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 साल तक देश के हर बच्चे को स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा देने के लिए पर्याप्त है। यदि सबसे अमीर 10 लोगों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगा दिया जाए, तो देश को लगभग 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मिल सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की शुरुआत एक स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक आर्थिक संकट बन गया है।