अमीर बढ़ा रहे हैं असमानता, अपने हिस्से का टैक्स चुकाने के लिए दुनिया के करोड़पतियों ने लिखी चिट्ठी

Oxfam ने दुनिया में बढ़ रही गैरबराबरी की तुलना आर्थिक हिंसा से की है..उसकी रिपोर्ट के मुताबिक बीते 2 सालों में कोरोना महामारी में 16 करोड़ लोग गरीबी की चपेट में आए जबकि अमीरों ने अपना टैक्स तक न चुकाया..

Updated: Jan 21, 2022, 04:48 AM IST

ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में असमानता इतनी बढ़ चुकी है कि इसे आर्थिक हिंसा कहा जाना चाहिए। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में कोरोना महामारी के कारण 16 करोड़ लोग गरीबी की चपेट में चले गए। लेकिन कोरोना काल में दस सबसे अमीर लोगों की संपत्ति दोगुनी हो गई। इसी बीच दुनिया के करोड़पतियों- अरबपतियों का एक खुला खत सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अमीर अपना टैक्स नहीं चुका रहे हैं, इसी वजह से आर्थिक गैर बराबरी पनप रही है।

इस चिट्ठी को लिखने वालों में दुनिया के तकरीबन 9 देशों के 100 से अधिक करोड़पति-अरबपति कारोबारी शामिल हैं। चिट्ठी में कहा गया है की वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम पर अमीरों के वैचारिक मंत्रणा से दुनिया की आर्थिक असमानता की खाई नहीं पटेगी। चिट्ठी में लिखा गया है कि, 'यदि आप वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ऑनलाइन सम्मेलन में भाग ले रहे होंगे, तो आप एक ऐसे विशेष समूह में शामिल हो रहे होंगे, जो इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं कि कैसे हम सब आपस में मिलकर काम कर सकते हैं ताकि टूटे हुए भरोसे की बहाली हो पाए?'

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चिट्ठी में आगे लिखा है कि, 'अगर आप ध्यानपूर्वक देखेंगे तो पाएंगे कि दुनिया के करोड़पतियों, अरबपतियों और दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों से घिरे एक निजी मंच पर इस सवाल का जवाब नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप लोग दुनिया के आम लोगों के बीच भरोसा पैदा नहीं करते, बल्कि आप लोग खुद ही आर्थिक असमानता की परेशानी के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। यह भरोसा उन अमीरों के जरिए नहीं बनाया जा सकता जो सारा मुनाफा खुद हड़प लेते हैं और अपने यहां नौकरी करने वाले को बहुत कम मेहनताना देते हैं।'

चिट्ठी में कहा गया है कि भरोसा जवाबदेही से पनपता है। भरोसा खुले लोकतंत्र में निष्पक्ष तौर पर काम कर रही संस्थाओं के जरिए बनता है। सभी नागरिकों की मदद और उन्हें बेहतर सेवाएं प्रदान करने से भरोसा बनता है। यह चिट्ठी लिखने वाले हम सभी करोड़पति लोग हैं। हम जानते हैं कि मौजूदा टैक्स प्रणाली निष्पक्ष नहीं है। हम सभी जानते हैं कि पिछले दो सालों में जब पूरी दुनिया अथाह पीड़ा से गुजर रही थी तब हमारी संपत्ति बढ़ रही थी। हम में से कोई भी यह बात ईमानदारी से नहीं कह सकता कि हमने उतना टैक्स दिया है जितना हम से लिया जाना चाहिए।

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उन्होंने आगे लिखा है कि, 'इसी नाइंसाफी के आधार पर इंटरनेशनल टैक्स प्रणाली की बुनियाद पड़ी हुई है। इस नाइंसाफी ने दुनिया के आम लोगों और शक्तिशाली लोगों के बीच पनपने वाले भरोसे के संबंध को तोड़ा है। इस टूटे हुए भरोसे का पुल अमीरों के द्वारा किए जाने वाले परोपकारी और दान दक्षिणा के काम के जरिए नहीं बनाया जा सकता है। इसके लिए उस पूरे सिस्टम को बुनियादी तौर पर बदलना होगा जो अब तक चला आ रहा है। जो जानबूझकर इस तरह से बनाया गया है जिससे अमीर और अधिक अमीर होते रहे।'

करोड़पतियों की इस ओपन लेटर में कहा गया है कि भरोसा बहाल करने के लिए अमीरों पर टैक्स लगाने की जरूरत है। दुनिया के हर एक देश में यह मांग उठनी चाहिए कि  अमीर वर्ग इतना टैक्स दे जितना उसे ईमानदारी से देना चाहिए। इस चिट्ठी को लिखने वाले हम सब करोड़पति हैं, इसलिए हम सीधे शब्दों में कहते हैं 'Tax us, the rich, and tax us now'

करोड़पतियों की इस चिट्ठी ने वैश्विक समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। हालांकि, इस तरह से चीजें हो इसकी उम्मीद कम ही दिखती है। बता दें कि ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा है कि यहां के दस सबसे अधिक अमीर लोगों के पास इतनी संपत्ति है कि अगर उसे सरकार खर्च करे तो प्राथमिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा का 25 वर्षों का खर्चा निकल सकता है।