Corona crisis: रेलवे की जानलेवा लेटलतीफी, सात की मौत

गंतव्य से भटकी रेल, सात-सात दिन लेट चल रही हैं श्रमिक स्पेशल

Publish: May 27, 2020, 12:50 AM IST

Photo: Dainik Bhaskar
Photo: Dainik Bhaskar

Indian Railway की बदहाल व्यवस्था का खामियाजा प्रवासी श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है। ट्रेनें दो दिन में सफर पूरा करने की जगह नौ-नौ दिन में मंजिल पर पहुंच रही हैं और उनमें सवार प्रवासी श्रमिक भूख, प्यास और गर्मी से अपना दम तोड़ रहे हैं।

हिंदी अखबार दैनिक भाष्कर के पटना संस्करण में छपी एक खबर के मुताबिक गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से बिहार आने वालीं ट्रेन कई-कई दिनों में पहुंच रही हैं, जिसके कारण एक दिन में ही सात लोगों की मौत हो गई। मरने वालो में चार साल का मासूम और एक आठ माह का नवजात भी शामिल है।

अखबार के मुताबिक महाराष्ट्र से आ रहे मजदूर को आरा में लोगों ने जब उठाना चाहा तो पाया कि उसकी मौत हो चुकी है। उसकी पहचान नबी हसन के पुत्र निसार खान उम्र लगभग 44 वर्ष के रूप में की गई। वह गया का रहने वाला था। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लेट होने का सिलसिला कुछ ऐसा है कि गुजरात के सूरत से 16 मई को सीवान के लिए निकलीं दो ट्रेनें क्रमश: उड़ीसा के राउरकेला और बेंगलुरु पहुंच गईं।

इसी तरह वाराणसी रेल मंडल की खोजबीन के बाद ट्रेन का पता चला कि जिस ट्रेन को 18 मई को सिवान पहुंचना था, वह 9 दिन बाद सोमवार 25 मई को पहुंची। ट्रेन को गोरखपुर के रास्ते सीवान आना था, लेकिन छपरा होकर सोमवार की अहले सुबह 2.22 बजे आई। जयपुर-पटना-भागलपुर 04875 श्रमिक स्पेशल ट्रेन रविवार की रात पटना की बजाए गया जंक्शन पहुंच गई। 

इस खबर के बाद मोदी सरकार की तीखी आलोचना हो रही है.

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, “पहले सड़क से, अब ट्रेन से यह समाचार। केंद्र सरकार ने इतने लम्बे सफ़र में, जैसा सामान्य रूप से होता है, न पानी न खाने का प्रबंध करना उचित समझा! मोदी सरकार के लिए सभी भारतीयों की जान की क़ीमत एक नहीं आँकी गयी है। ऐसा भेदभाव क्यों, हमारे काम करने वाले, मेहनतकश वर्ग के प्रति? ”

 

वहीं सोशल मीडिया पर कई यूजरों ने पूछा कि एक दिन में सात लोगों के मर जाने के बाद रेलवे में किसी को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया गया?

 

एक यूजर ने लिखा कि हम प्राचीन समय मे जरूर पुष्पक विमान उड़ाते होंगे लेकिन वर्तमान में ढंग से ट्रेन नहीं चला पा रहे.