कोरोना ... अभी सबसे बुरा समय आना बाकी है

कोरोना संक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। यूएन महासचिव एंटनियो गुटेरेस ने कहा कि हम कोरोन के विनाशकारी सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को देख रहे हैं।

Publish: Apr 11, 2020, 04:40 AM IST

UN Secretary General Antonio Guterres
UN Secretary General Antonio Guterres

पूरी दुनिया में फैलने के तीन माह बाद कोरोना संक्रमण पर पहली बार गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बैठक आयोजित कर इस महामारी पर चर्चा की। बैठक में कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही राजनीतिक अस्थिरता और समाज मे बढ़ रही अशांति पर चर्चा की गई। संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली इकाई 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की ये बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई।

गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में से संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच उठे विवाद ने परिषद को इस महामारी पर चर्चा करने से रोक दिया था। कोरोना महामारी से उत्पन्न अशांति और असुरक्षा के इस दौर में परिषद की निष्क्रियता की खूब आलोचना हो रही थी, इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहे थे। हालांकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटनियो गुटेरेस ने कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र के 75 साल के इतिहास में कोरोना महामारी को सबसे बड़ा खतरा बताया था। उन्होंने परिषद को चेतावनी भी दी थी कि कोरोना महामारी से सामाजिक अशांति और हिंसा में वृद्धि हो सकती है, जो हमारी इस महामारी से लड़ने की क्षमता को बहुत कम कर देगी। उन्होंने इसे एक पीढ़ी की लड़ाई भी बताया था। इस संदर्भ में परिषद की गुरुवार को हुई बैठक बहुत महत्वपूर्ण है।

तीन घण्टे तक चली बैठक में महामारी संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई। हालांकि बैठक में इस बात की आशंका बनी हुई थी कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन एक बार फिर आमने सामने न आ जाएं। पर बैठक में शामिल राजनयिकों ने बताया कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर दोनों देशों के राजनयिकों ने कुछ नहीं कहा। जबकि कुछ दिन पहले दोनों देश वायरस की उत्पत्ति को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में उलझे थे। जिसकी वजह से सुरक्षा परिषद में कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों पर चर्चा तक नहीं हो पा रही थी।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटनियो गुटेरेस ने बैठक के बाद कह कि कोविड-19 की महामारी के कारण बनी स्थितियों के परिणाम का सामना हर देश कर रहा है। हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है, परिवार टूट रहे हैं, अस्पतालों में भारी भीड़ है और जरूरी सेवाओं के कार्यकर्ता अतिरिक्त कार्यों के बोझ से दबे हैं। हम सभी इस अचानक उजागर झटके से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जो नौकरियां चली गई हैं और जो कारोबार पीड़ित हैं उसके अलावा हमारे दैनिक जीवन के लिए मौलिक और कठोर बदलावों का हम सामना कर रहे हैं। इससे भी डरावनी बात यह है कि अभी भी सबसे बुरा आना बाकी है, खासकर विकासशील देशों और उन देशों में पहले से ही सशस्त्र संघर्ष से पस्त हैं। कोविड-19 महामारी पहले से ही एक भयानक स्वास्थ्य संकट है, इसके परिणाम कहीं अधिक दूरगामी हैं। हम पहले से ही इसके विनाशकारी सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को देख रहे हैं, क्योंकि दुनिया भर की सरकारें पहले से ही बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के असर से निपटने के लिए संघर्ष कर रही हैं।