राष्ट्रपति बाइडेन ने अमेरिकी नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की दी चेतावनी, किसी भी पल छिड़ सकती है जंग

कोरोना संकट के बीच दुनिया पर युद्ध का खतरा, यूक्रेन पर कभी भी हमला कर सकता है रूस, काम नहीं आयी अमेरिका की चेतावनी, रूस ने कहा हम किसी का लेक्चर नहीं सुनेंगे

Updated: Feb 11, 2022, 03:44 AM IST

Photo Courtesy: CNBC
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वॉशिंगटन। रूस और यूक्रेन के बीच विवाद खत्म करने की तमाम कोशिशें नाकाम हो गयी हैं। यही वजह है कि रूस अब यूक्रेन पर सीधा हमले की तैयारी में है। रूस का रुख देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने नागरिकों को तत्काल यूक्रेन छोड़ने की चेतावनी दी है।

न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, बाइडेन के कहा कि अमेरिकी नागरिक जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ दें। यूक्रेन में रूसी आक्रमण के खतरे को देखते हुए राष्ट्रपति बाइडेन ने यह अपील की है। उन्होंने कहा है कि, 'ऐसा नहीं है कि हम एक आतंकवादी संगठन से डील कर रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक से जुड़ा यह मामला है। यह बहुत अलग स्थिति है और चीजें जल्दी ही बिगड़ सकती हैं।'

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दरअसल, अमेरिका पहले ही चेतावनी दे चुका है कि यूक्रेन पर हमले की सूरत में रूस को भारी नुकसान उठाना होगा, लेकिन इस चेतावनी का खास फायदा नहीं हुआ। उधर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन संकट पिछले कुछ दशकों में यूरोप के 'सर्वाधिक खतरनाक क्षण' में प्रवेश कर गया है। ब्रिटेन की शीर्ष राजनयिक ने अपने रूसी समकक्ष के साथ बातचीत की तो उन्होंने कहा कि रूस पश्चिमी देशों का 'लेक्चर' नहीं सुनेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन के उत्तर में स्थित बेलारूस में रूसी सैनिकों की बड़े स्तर पर सैन्य गतिविधियां देखने को मिली। वहीं, यूक्रेन की सीमा के पास रूस के एक लाख से अधिक सैनिकों का जमावड़ा लगा है। उधर, गुरुवार को ब्रिटेन ने भी अपने ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स का एक लड़ाकू विमान 350 सैनिकों को लेकर पोलैंड में भेज दिया है। ब्रिटेन यह कदम रूस पर दबाव डालने के रूप में देखा जा रहा है।

मौजूदा हालातों को देखकर आशंका जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में कुछ बड़ा हो सकता है। यदि दोनों देशों में जंग होती है, तो फिर ये केवल दो देशों का मुद्दा नहीं रह जाएगा। रूस यदि यूक्रेन पर हमला करता है तो इस जंग के विश्व युद्ध बनते देर नहीं लगेगी। अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देश इस लड़ाई में यूक्रेन का साथ देंगे और चीन रूस का। फिलहाल भारत ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।