भारत सरकार सुन ले, हम पैदल निकल रहे हैं, सूमी में फंसे भारतीय छात्रों का टूटा सब्र का बांध

यूक्रेन स्थित सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों ने जारी किया आखिरी वीडियो, बोले- भारत सरकार सुन ले, हम पैदल निकल रहे हैं, हमें कुछ हुआ तो उसके लिए आप जिम्मेदार होंगे, अब बहुत हो गया, और इंतजार नहीं कर सकते

Updated: Mar 05, 2022, 12:34 PM IST

सूमी। यूक्रेन के युद्ध प्रभावित सूमी और खारकीव में अभी भी हजारों भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। तमाम दावों के बावजूद इन छात्रों को रेस्क्यू करने में भारत सरकार असफल रही है। सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का सब्र का बांध टूट गया है। युद्ध के दसवें दिन जब आसमान से बमबारी हो रही है और सड़कों पर ताबड़तोड़ फायरिंग हो रही ये छात्र पैदल निकल पड़े हैं।

सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी के सैंकड़ों छात्रों ने एक साथ वीडियो जारी कर कहा है कि हम निकल रहे हैं। छात्रों के समूह की ओर से एक छात्रा ने कहा कि, 'यहां सुबह से बमबारी और गोलाबारी हो रही रही है। हम पिछले 10 दिनों से डर के मौहल में जीने को मजबूर हैं। हमने बहुत इंतजार किया है अब और इंतजार नहीं कर सकते। हम अपनी जान रिस्क पर ले रहे हैं और यदि हमारे साथ कुछ भी होता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी भारत सरकार और भारतीय दूतावास की होगी।' 

दूसरी छात्रा ने कहा कि, 'हम लोगों में से किसी को कुछ भी होता है तो मिशन गंगा सबसे बड़ा फेलियर साबित होगा। सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रों का यह आखिरी वीडियो है हम अपनी जान को दांव पर लगाकर बॉर्डर की ओर जा रहे हैं। यह हमारा आखिरी रिक्वेस्ट है। हमारे लिए दुआ करें।' इसके पहले सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रों ने वीडियो जारी कर बताया था कि हमारे पास खाने का कोई व्यवस्था नहीं है।

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बता दें कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया था कि करीब 700 छात्र सूमी में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा था कि हमारा पहला फोकस भारतीय छात्रों को पूर्वी यूक्रेन के संघर्ष वाले क्षेत्रों से बाहर निकालने पर है। हम दोनों पक्षों (रूस और यूक्रेन) से सीजफायर का आग्रह कर रहे हैं। रूस ने आज सीजफायर का ऐलान भी किया लेकिन यह सीजफायर सूमी अथवा खारकीव में नहीं बल्कि मारियुपोल और वोल्नोवाखा में किया है। इन दोनों शहरों में भारतीय नागरिक न के बराबर हैं।