इंदौर में कोरोना से हुई 1400 मौत लेकिन प्रशासन ने 2400 परिजनों को बांटा मुआवजा, फर्जीवाड़े की आशंका

रिपोर्ट्स के मुताबिक इनके अलावा अभी 4100 आवेदन पेंडिंग हैं, जिन्हें मुआवजा राशि आवंटित की जानी है

Publish: Jan 19, 2022, 04:09 AM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश में कोरोना मृतकों में फर्जीवाड़े की आशंका और बढ़ गई है। इंदौर प्रशासन के दो आंकड़ों से कोरोना मृतकों के आंकड़े में फर्जीवाड़ा किए जाने के दावों को मजबूती मिली है। इंदौर में कोरोना काल में संक्रमण की चपेट में आने से 1400 लोगों की मौत हो गई, लेकिन प्रशासन ने 2400 से अधिक परिजनों को मुआवजा बांट दिया। इस आंकड़े के सामने आने के बाद से ही इंदौर प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक तरफ जहां प्रशासनिक रिकॉर्ड में कोरोना से इंदौर में महज 1400 लोगों की मौत हुई है। लेकिन दूसरी तरफ उसी प्रशासन ने 2400 मृतकों के परिजनों को 24 करोड़ की मुआवजा राशि आवंटित कर दी। इतना ही नहीं अभी 4100 आवेदन लंबित भी बताए जा रहे हैं। ये आवेदन ऐसे हैं, जिन्हें मुआवजा राशि आवंटित की जानी है। 

हालांकि 4190 लंबित आवेदनों में ज्यादातर डुप्लीकेट बताए जा रहे हैं। इनमें 1517 आवेदन डुप्लीकेट जबकि 1431 आवदेन अधूरे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब सात सौ आवेदन ऐसे हैं, जिनमें मृतक के ही कई रिश्तेदारों ने मुआवजे के लिए आवेदन कर दिया है। कुछ आवेदन ऐसे भी हैं, जिसमें मृतक के परिजन इंदौर में रहते हैं लेकिन मृतकों की मौत किसी अन्य ज़िले में हुई। कुछ आवेदन ऐसे हैं, जिसमें परिजन किसी अन्य ज़िले के हैं लेकिन मृतक की मौत इंदौर में हुई। 

लंबित आवेदनों को एक बार के लिए अलग रख भी दिया जाए, तब भी यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर जब कोरोना से संक्रमित 1400 मरीजों की ही मृत्यु, तब प्रशासन से 2400 मृतकों के परिजनों को मुआवजा राशि कैसे मुहैया करा दी? वह भी तब जब खुद प्रशासन के पास 4100 आवेदन स्क्रूटनी के लिए लंबित हैं। 

इस पूरे मामले में कलेक्टर मनीष सिंह का एक बयान भी सामने आया है। जिसमें उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि बुलेटिन में जारी हुए आंकड़े में अस्पतालों का डेटा होता है। जिनकी घरों में मृत्यु हुई है। उनका आंकड़ा अलग हो सकता है। कलेक्टर ने कहा कि नियमों का पालन करते हुए, ऐसे मृतकों के केस भी लिए जा रहे हैं, जिसमें मरीज अस्पताल में भर्ती था। लेकिन उसकी मौत अस्पताल से छुट्टी के तीस दिन बाद हुई। कलेक्टर मनीष सिंह ने डेटा को अपडेट कराने का आश्वासन दिया है।