MP में अब हिंदी में होगी MBBS की पढ़ाई, चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग का ऐलान

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि काफी समय से हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई हो, मुख्यमंत्री भी यही चाहते हैं, पाठ्यक्रम में बिना बदलाव के हिंदी विषय में पाठ्यक्रम लाने की हमने तैयारी कर ली है

Updated: Jan 29, 2022, 12:58 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में अब एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में भी की जा सकेगी। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने शनिवार को ये ऐलान किया है। मंत्री सारंग ने कहा है कि हिंदी में पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए सरकार ने उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। हाल ही में इस कमेटी की बैठक भी हुई है।

मंत्री सारंग ने इस विषय पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि, 'कमेटी की बैठक में पाठ्यक्रम के हिंदी ट्रांसलेशन के बारे में चर्चा की गई। पहले इस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा, उसके बाद सरकार हिंदी में ही इसके लेक्चर दिलवाने की भी कोशिश करेगी। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है जिसके उत्थान के लिए जो भी कदम उठाए जा सकते हैं वह हम उठा रहे हैं।' 

सारंग के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यही चाहते हैं कि MBBS की पढ़ाई अब हिंदी में भी हो सके। उन्होंने कहा, 'हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है और बहुत सारे स्तर से लगातार इस बात की मांग उठ रही थी कि हिंदी में भी MBBS का पाठ्यक्रम होना चाहिये। विश्व की स्टडी भी यह कहती है कि किसी भी तरह की पढ़ाई यदि मातृ भाषा में होगी तो उसके परिणाम और अधिक सुखद होंगे। इसलिये हमने भी यह निश्चय किया है कि पाठ्यक्रम में बिना किसी बदलाव के हिंदी में भी पाठ्यक्रम आ सके इसकी हमने तैयारी कर ली है।'

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हालांकि, एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराए जाने का प्रयोग सफल होगा या नहीं इसपर सवालिया निशान है। इससे पहले राजधानी भोपाल में ही हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की जा चुकी है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना भी इसी मकसद से की गई थी कि इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी पढ़ाई भी छात्र हिंदी में कर सकें, लेकिन यह कोशिश नाकाम रही।

सारंग के इस ऐलान पर एनएसयूआई मेडिकल विंग ने निशाना साधा है। एमपी एनएसयूआई मेडिकल विंग के प्रमुख रवि परमार ने कहा की, 'मंत्री विश्वास सारंग की बातों को छात्र गंभीरता से नहीं लेते। छात्र दो-दो साल से परिक्षाओं का इंतजार कर रहे हैं, उस दिशा में इन्होंने कोई काम नहीं किया। छात्र खुद जब कोर्ट जाते हैं तब कोई निर्णय होता है। सारंग बस मीडिया में बने रहने के लिए जुमले फेंकते हैं। इनसे होता कुछ नहीं है।'