मैनिट में मांगों को लेकर डटे छात्र, बोले अब आमरण अनशन का ही बचा विकल्प

मैनिट में पीएचडी के छात्र एचआरए के भुगतान और रिसर्च पेपर की तारीख आगे बढ़ाये जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मैनिट प्रबंधन के आनाकानी भरे रवैये के कारण छात्र अनशन पर बैठ गये हैं,मैनिट परिसर में छात्रों ने प्रदर्शन करते हुए गुरुवार की पूरी रात गुज़ारी, छात्रों का कहना है कि अब उनके पास आमरण अनशन का ही इकलौता विकल्प बच गया है

Publish: Jan 21, 2022, 11:05 AM IST

Photo Courtesy : Dainik Bhaskar
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भोपाल। मौलाना आज़ाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पीएचडी स्कॉलर्स का धरना जारी है। गुरुवार की सर्द रात पीएचडी छात्रों ने मैनिट परिसर में प्रदर्शन करते हुए गुज़ारी। छात्रों का कहना है कि अब उनके पास आमरण अनशन करना ही एकमात्र विकल्प बच गया है। छात्र एचआरए के भुगतान और रिसर्च पेपर की तारीख आगे बढ़ाये जाने की मांग कर रहे हैं।  

मैनिट में अध्ययनरत पीएचडी के छात्रों का कहना है कि उन्हें समय से एचआरए का भुगतान नहीं किया जा रहा है। छात्रों के मुताबिक जुलाई 2019 से दी जाने वाली एचआरए की राशि रोक दी गयी है। उन्होंने इसके भुगतान को लेकर मैनिट प्रबंधन से जब बात की तो अक्टूबर महीने में सिर्फ एक महीने के एचआरए का भुगतान किया गया।  

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एचआरए के भुगतान में हुई देरी के कारण दस जनवरी को छात्र 10 जनवरी को प्रदर्शन पर बैठ गये। पीएचडी स्कॉलर्स रिसर्च पेपर के प्रकाशन की तारीख बढ़ाने की मांग करने लगे। लेकिन मैनिट प्रबंधन के उदासीन रवैये को देखते हुए छात्रों ने गुरुवार को परिसर में प्रदर्शन के दायरे को बढ़ा दिया। छात्र रज़ाई और गद्दे अपने साथ ले आये और रात भर ठंड से झूझते हुए उन्होंने प्रदर्शन किया।अब छात्रों का कहना है कि मैनिट प्रशासन के इस व्यवहार के कारण उनके पास एकमात्र आमरण अनशन का विकल्प बचा हुआ है।  

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वहीं इस पूरे मामले में मैनिट प्रशासन ने परिसर में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी है। मैनिट प्रबंधन का इस पूरे मामले में कहना है कि पीएचडी स्कॉलर्स को उनके एचआरए का भुगतान किया जा रहा है। प्रबंधन के बयान के मुताबिक एचआरए का बकाया केवल भारत सरकार के मानदंडों के आधार पर किया जा सकता है। मैनिट प्रबंधन और पीएचडी छात्रों के बीच जारी इस संघर्ष में अब तक मैनिट प्रशासन ने आंदोलनरत छात्रों पर किसी तरह का बल प्रयोग करने की कोशिश नहीं की है।