शिवराज सरकार ने फिर बदला दागदार व्यापमं का नाम, कांग्रेस बोली- नाम बदलने से पाप नहीं धुलेंगे

शिवराज कैबिनेट ने व्यापमं का नाम बदलने के प्रस्ताव को दी स्वीकृति, अब इसे कर्मचारी चयन बोर्ड कहा जाएगा, कांग्रेस ने कहा है कि नाम बदलने से शिवराज के पाप नहीं धुलेंगे, सैंकड़ों लोगों के खून से मुख्यमंत्री का दामन दागदार हो चुका है

Updated: Feb 18, 2022, 11:05 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर दुनिया के सबसे दागदार परीक्षा मंडल व्यापमं का नाम बदलने का फैसला लिया है। सैंकड़ों इंसानों के सीरियल किलर के रूप में कुख्यात व्यापमं (मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल) को अब कर्मचारी चयन बोर्ड के नाम से जाना जाएगा। सरकार के इस फैसले पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा है कि नाम बदलने से शिवराज के पाप नहीं धुलेंगे।

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब व्यापमं का नाम बदला गया है। घोटाला सामने आने के बाद व्यापमं का नाम प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (PEB) कर दिया गया था। अब कृषि क्षेत्र में पीईबी घोटाला सामने आया जिसे लोग व्यापमं-पार्ट 2 का संज्ञा दे रहे थे। ऐसे में सरकार ने अब इसका एक बार और नाम बदला और कर्मचारी चयन बोर्ड कर दिया। सरकार ने व्यापमं का नाम बदलने का फैसला ऐसे समय पर लिया है जब एक दिन पहले ही PMT 2013 में हुई गड़बड़ी के मामले में 160 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दायर की है।

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बहरहाल, नाम बदलने संबंधी राज्य सरकार के फैसले पर विपक्ष आक्रामक है। एमपी यूथ कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी ने कहा कि, 'नाम बदलने से शिवराज का पाप नहीं धूल जाएगा। मुख्यमंत्री दुनिया के सबसे बड़े खूनी घोटाले के दोषी हैं। इस व्यापमं ने सैंकड़ों लोगों की जान ली है। शिवराज सैंकड़ों लोगों के खून के छींटे नहीं धूल पाएंगे। मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और शिक्षा माफियाओं ने मिलकर एक पूरी पीढ़ी का भविष्य बर्बाद किया है। घोटलों को छिपाने के लिए सैकड़ों लोगों की हत्या हुई। अब हर दूसरे घोटाले के साथ नाम बदल दे रहे हैं। कारनामे वही हैं बस नाम बदल गए।'

व्यापमं घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले को उजागर हुए 10 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन कई रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। मामले में अबतक दो हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसमें अधिकांश लोग बाहर आ गए हैं। कांग्रेस ने साल 2014 में सीएम शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह के फोन का रिकॉर्ड सार्वजनिक कर दावा किया था कि उन्होंने व्यापम घोटाले के जिम्मेदार नितिन मोहिंद्रा और पंकज त्रिवेदी को 139 कॉल किए गए थे। हालांकि, पुलिस ने कभी उस एंगल से जांच नहीं की।

व्यापमं से जुड़े चार दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत विभिन्न रिकॉर्ड में दर्ज हैं। लोग कहते हैं कि इसकी संख्या सैंकड़ों में हो सकती है, क्योंकि सभी मामले रिपोर्ट नहीं हुए थे। अबतक इन रहस्यमयी मौतों से पर्दा नहीं उठा। कई साल पहले शिवराज सरकार ने एक बुकलेट भी जारी किया था जिसमें बताया गया कि 11 की जान सड़क दुर्घटना में गई, पांच ने खुदकुशी की, दो की मौत तालाब में डूबने से और तीन की अत्यधिक शराब पीने से हुई। जून 2015 में SIT ने कहा कि घोटाले से जुड़े 23 लोगों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई। तत्कालीन गृह मंत्री बाबूलाल गौर का बयान था कि जिसने भी जन्म लिया है, एक दिन उसकी मौत होनी ही है।

कुछ मौत तो ऐसे हैं जिसपर किसी का भी यकीन न हो। व्यापम से जुड़ी एक मौत जनवरी 2012 में रिटायर्ड स्कूल शिक्षक मेहताब सिंह डामोर की 19 साल की बेटी नम्रता डामोर की हुई थी। उसकी लाश रेलवे ट्रैक पर मिली। ऊपर के दो दांत टूटे थे और होठों पर भी चोट के निशान थे। कहा गया कि प्रेम संबंध टूटने से निराश होकर उसने खुदकुशी की। तीन साल बाद नम्रता के पिता से मिलने गए दिल्ली के टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। 

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इस मामले में सबसे बड़ी गिरफ्तारी तत्कालीन स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की हुई थी। जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ने लगा व्यापमं से जुड़े लोगों की संदिग्ध मौतें होने लगी। जुलाई 2014 में जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ डी के साकल्ले अपने ही घर के सामने मृत पाए गए। पुलिस ने कहा कि डॉ साकल्ले ने खुद केरोसिन डालकर आग लगा ली। उनकी जगह डॉ अरुण शर्मा अगले डीन बने लेकिन वे भी दिल्ली के एक होटल में एक दिन मृत पाए गए। मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव और उनके बेटे शैलेश यादव का नाम भी इस घोटाले से जोड़ा गया था। यादव के 50 वर्षीय बेटे की भी संदिग्ध मौत हो गई और पुलिस में उसे ब्रेन हेमरेज बताया। इस तरह व्यापमं से जुड़े अनगिनत कहानियां हैं, लेकिन उसका सच क्या है ये रहस्य ही है।