शक्कर मिल की नीलामी रोकने सड़कों पर उतरे किसान, सीएम शिवराज पर लगा दगा देने का आरोप

12 वर्षों से बंद पड़ी मुरैना की शक्कर मिल की आज नीलामी है, कुल 15 लोगों ने इसके लिए आवेदन किए हैं.. दूसरी तरफ नाराज़ किसान आज धिक्कार दिवस मना रहे हैं, उनका दावा है कि शिवराज चौहान 3 बार इसे चालू करने की घोषणा करके बदल चुके हैं

Updated: Feb 08, 2022, 05:34 AM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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मुरैना। मुरैना स्थित शक्कर मिल को शिवराज सरकार बेचने जा रही है। आज यानी आठ फरवरी को सहकारी शक्कर कारखाने की नीलामी हो रही है। इलाके के 25 हजार से ज्यादा किसान इस नीलामी का विरोध कर रहे हैं.. उनका आरोप है कि सीएम शिवराज ने उनके साथ विश्वासघात किया है। पीड़ित किसानों ने मदद के लिए अब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से गुहार की है।  

पीड़ित किसानों और श्रमिकों की तरफ से मुरैना जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष विष्णु अग्रवाल ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को एक पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने पत्र में बताया है कि कैलारस स्थित सहकारी शक्कर कारखाने की मशीनरी की 8 फरवरी को नीलामी होने जा रही है। जिसका ज़िले के किसान व श्रमिक विरोध कर रहे हैं।

विष्णु अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि मुरैना की सबलगढ़, विजयपुर, जौरा और कैलारस के 25 हजार से अधिक किसानों और 1500 से अधिक श्रमिकों के परिवारों का हित इस मिल से जुड़ा हुआ है। इस कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों के विभिन्न देयकों का करीब 34 करोड़ रुपए बकाया है। लेकिन सरकार इनके हितों को ताक पर रखते हुए शक्कर कारखाने की नीलामी करने जा रही है। 

किसान जिस शक्कर फैक्ट्री को चालू करने की मांग कर रहे हैं, वह 2010-11 से बंद पड़ी है। फैक्ट्री को खोलने की मांग हर बार चुनावी मुद्दा बनती है लेकिन चुनाव बीते जाने पर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। पिछले विधानसभा चुनावों के वक्त भी खुद तत्कालीन सीएम रहे शिवराज ने इस मिल को चालू करने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आते ही शिवराज सिंह चौहान का रुख बदल गया। अब सरकार के इस नीलामी के फैसले को लेकर किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और मुख्यमंत्री पर विश्वासघात करने का आरोप लगा रहे हैं।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे को उठाते हुए शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि "मुरैना ज़िले के सहकारी शक्कर कारख़ाने की मशीनरी भाजपा शासन बेचने की तैयारी में है। शिवराज जी ने 2010-11 में इसे चालू करने का वादा किया था लेकिन घोषणावीर ने इसे भी भुला दिया। सबलगढ़ कैलारस विजयपुर जौरा के 25000 किसान इससे जुड़े हुए हैं। कॉंग्रेस फैक्टरी लगाती है भाजपा बेचती है।"

मुख्य मांग 

शक्कर कारखाने की मशीनरी की नीलामी का काफी समय से विरोध हो रहा है। बीजेपी को छोड़कर ज़िले में तमाम राजनीतिक दल किसानों और श्रमिकों के समर्थन में उतर आए हैं और शिवराज सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। आंदोलनकारियों की प्रमुख तौर पर चार मांगें हैं। 

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पहली मांग - सरकारी संपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा की जाने वाली नीलामी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। 

दूसरी मांग - किसानों की हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस कारखाने को आर्थिक सहायता देकर चलाया जाए। 

तीसरी मांग - कारखाने के श्रमिकों के विभिन्न देयकों के करीब 34 करोड़ के बकाए का तत्काल भुगतान किया जाए।

चौथी मांग - 2010-11 में किसानों के गन्ने के बकाया का तत्काल ही भुगतान किया जाए।

इलाके के किसान लगातार सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। किसानों की भारी नाराजगी के बीच भी सरकार ने नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लगाने से मना कर दिया है और इसके लिए करीब पंद्रह बिड लगाए जा चुके हैं। दूसरी तरफ किसान भी आरपार की लड़ाई के मूड में हैं और वो सरकार के खिलाफ धिक्कार दिवस मनाना जारी रखे हैं।