यूक्रेन में फंसे छात्रों का जीना दूभर, 50KM पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे, भूख और प्यास से हालत खराब

यूक्रेन में फंसे मध्य प्रदेश के छात्रों की बदतर हो रही है हालत, दो-दो दिनों से भूखे प्यासे पोलैंड बॉर्डर पर बैठे हुए हैं छात्र, 10 घंटे पैदल चलकर पहुंच रहे हैं बॉर्डर तक, एंबेसी के लोग नहीं कर रहे मदद

Updated: Feb 27, 2022, 05:40 AM IST

रूस के ताबड़तोड़ हमलों के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का जीना दूभर हो गया है। छात्रों को न भारत सरकार से मदद मिल रही है और न ही एंबेसी से कोई सांत्वना देने वाला है। हजारों की संख्या में भारतीय छात्रों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पोलैंड बॉर्डर्स पर छात्र भूख प्यास से तड़प रहे हैं।

अधिकांश छात्र ऐसे हैं, जो पिछले दो-तीन दिनों से सुरक्षित वतन वापसी के समुचित प्रयास खुद ही कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के 20 छात्र यूक्रेन के टरनोपिल से शुक्रवार रात 2 बजे पोलैंड के लिए पैदल निकले। उन्होंने माइनस चार डिग्री तापमान में 10 घंटे तक पैदल चलकर 50 किलोमीटर का सफर तय किया। लेकिन पोलैंड बॉर्डर पर न एम्बेसी के अधिकारी मौजूद हैं न ही उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ मिला है।

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उज्जैन की रहने वाली अनुष्का यादव ने मीडिया को बताया कि पोलैंड बॉर्डर पर उन्हें इंडियन एम्बेसी से अधिकारी का नंबर मिला, लेकिन वो बंद है। पोलैंड के अधिकारी कह रहे हैं कि भारतीय दूतावास से बात करने के बाद ही पोलैंड में एंट्री दी जाएगी। 

अनुष्का ने बताया कि हम टरनोपिल से निकले तो हमारे साथ कुछ अन्य राज्यों के भी स्टूडेंट थे। हमारे पास सिर्फ एक-एक पानी की बोतल और कुछ खाना था। जंगल जैसे दुर्गम इलाकों से रात्रि में पैदल निकल रहे थे। हम बुरी तरह डरे हुए थे। किसी तरह पोलैंड बॉर्डर पहुंचे लेकिन अब यहां से कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। 

कमोबेश यही स्थिति रोमानिया बॉर्डर की भी है। रोमानिया बॉर्डर पर हजारों की संख्या में छात्र इकट्ठे हो गए हैं। उनके पास खाने-पीने का कुछ भी बचा नहीं है और माइनस 3-4 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे हैं। रोमानिया से छात्रों का रेस्क्यू हो रहा है लेकिन कुल संख्या के मुकाबले 5 फीसदी छात्र ही वहां से निकल पाए हैं।

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उधर जो लोग अब भी शहरों में हैं, वे पल-पल डर के साए में जी रहे हैं। राजधानी कीव में पढ़ाई कर रहीं MP के टीकमगढ़ की दिव्यांशा साहू ने बताया कि रूसी सैनिक कीव में घूम रहे हैं और आम लोगों पर भी हमला कर रहे हैं। जान बचाने के लिए बंकर और अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए हैं। हमें बाहर निकलने की हिम्मत नहीं है। 

एंबेसी के लोग कह रहे हैं कि आपलोगपोलैंड बॉर्डर तक पहुंचें, पर इन हालात में हम कैसे निकलें। ट्रैवल्स के साधन नहीं हैं। कीव प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। हर कहीं बम गिर रहे हैं। मिसाइलें गिर रही हैं। तीन से चार हजार स्टूडेंट तो अकेले कीव में फंसे हुए हैं। कुछ स्टूडेंट अपनी रिस्क पर बाहर जा भी रहे हैं। यदि रूसी सैनिकों के हमले के बीच कीव से निकलना बेहद मुश्किल और रिस्की है।