बुंदेलखंड में आज़ भी जारी है सामंतवाद और दबंगों का कहर

दबंगों का कहर

Publish: Mar 01, 2020, 05:15 AM IST

  • बुंदेलखंड में आज़ भी जारी है सामंतवाद और दबंगों का कहर..
  • छतरपुर में दलित परिवार की आबरू लूटने का प्रयास कर की मार-पीट..
  • शिकायत के बाबजूद नहीं किया गिरफ्तार और अब जान से मारने की धमकी..
  • पीड़ित परिवार बच्चों सहित पहुंचा SP आफ़िस डाला डेरा..

आज़ादी के दशकों गुज़र जाने के बाद भी बुंदेलखंड में सामंतवाद और दबंगों कहर अनवरत जारी है. कई सरकारें और जनप्रतिनिधि आए-गए-चले-गए पर हालात ना बदले बल्कि और भी बद से बदतर हो चले हैं. ग्रामीण अंचलों में आज भी दलित और पिछड़े समुदाय सामंतवाद और दबंगों की जूती माने जाते हैं और यहां इन्हें इनके ही हिसाब से रहना-चलना पड़ता है.

ताजा मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का जहां अपने एक दलित महिला को अपनी आबरु बचाना इतना महंगा पड़ गया कि आरोपियों ने उसके पूरे परिवार पर कहर बरसा दिया और लाठी-डंडों से पीट-पीटकर लहूलुहान और घायल कर दिया.

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बता दें कि जिले के भगवां थाना क्षेत्र के गोटखपुरा गांव की रहने वाली रजनी अहिरवार के साथ कुछ समय पहले गांव के दबंग (ठाकुरों) ने घर में घुसकर आबरू लूटने का प्रयास किया था. जहां उसने विरोध कर अपने आप को छेड़-छाड से तो नहीं पर लुटने से बचा लिया और मामले की थाने में शिकायत दर्ज करा दी थी. जिसके चलते अब आरोपी दबंग अपनी रिपोर्ट वापस लेने और समझौता करने का लगातार दबाव बना रहे हैं. और नहीं मानने पर अब आरोपियों ने दलित पतिवार के घर में घुसकर बच्चे-बड़े-बूढ़ों-महिलाओं सहित सभी पर हमला बोल दिया और लाठी-डंडों से पीट-पीट कर लहूलुहान/घायल कर दिया. इस हमले में परिवार के बच्चे-महिलाएं-बूढ़े सब घायल हुए हैं.

शांति देवी बेवा और घायल शांति देवी और वृद्ध महिला कल्लो बाई अहिरवार की मानें तो मामले की थाने में रिपोर्ट करने के बावजूद आरोपियों को पुलिस नहीं पकड़ पा रही और आरोपी हैं कि अब भी लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. जिससे हताश और परेशान होकर इस दलित परिवार ने सपरिवार SP ऑफिस में डेरा डाल रखा है. और न्याय की मांग कर रहे हैं.

साथ ही पीड़ित महिलाओं की मानें तो गांव में आपराधिक प्रवत्ति के दबंगों द्वारा लोगों से पैसों की अवैध वसूली भी की जाती है और जो भी लोग गांव से बाहर मेहनत-मजदूरी कर पैसा कमाने जाते हैं और लौट कर आते हैं तो उनसे पैसों की मांग करते हैं और नहीं देने पर उनपर अत्याचार करते हैं.

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वहीं ज़ब हमनें इस मामले पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों (ASP जयराज कुबेर) से बात की तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल थाना प्रभारी टी.आई. को फोन कर मामले में उचित कार्यवाही और गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं. तो वहीं दलित परिवार को उनके घर वापिस जाने और जानोमाल के8 सुरक्षा का हवाला दिया है.

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि बुंदेलखंड में सामंतवाद और दबंगों का कहर अब भी जारी है. यहां आजादी के कई दशक गुज़र जाने के बाद भी यहां दलित और पिछड़ा उपेक्षा का शिकार है. इनके हितों की रक्षा के लिये भले ही सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं और कानून बनाये हैं पर बावजूद वह इनकी पहुंच से बहुत दूर हैं.