कोरोना : मप्र में निजी चिकित्साकर्मियों का भी बीमा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि निजी चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों का भी सरकारी चिकित्सा कर्मियों की तरह 50 लाख रूपये का बीमा करवाया जायेगा।

Publish: Apr 19, 2020, 08:30 AM IST

CM shivraj singh chouhan in video conferencing
CM shivraj singh chouhan in video conferencing

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहा कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की लड़ाई में सीधे रूप से लगे निजी चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों का भी शासकीय चिकित्सा कर्मियों की तरह 50 लाख रूपये का बीमा कराया जायेगा। मुख्यमंत्री ने निजी चिकित्सकों को कोरोना संक्रमण की इस लड़ाई में उनके हौसले एवं सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री चौहान ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को टेलीमेडिसिन व्यवस्था बनाने के लिए टेलीफोन पर डॉक्टर्स के मोबाइल नंबर एवं टेलीफोन नंबर की सूची तैयार रखने के निर्देश दिये। चौहान ने कहा कि डॉक्टर स्वयं रैपिड टेस्ट किट खरीद सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग उसकी प्रामाणिकता की जांच करेगा। कोविड और नॉन कोविड-19 के लिए अलग-अलग चिकित्सालय रहेंगे। डॉक्टर द्वारा पीपीई किट की मांग किए जाने पर उन्होंने कहा कि पहले यह किट भारत सरकार से बनवाई जा रही थी, परंतु अब इस किट का निर्माण प्रदेश में ही पीथमपुर के साथ बुधनी में भी प्रारंभ हो चुका है। उन्होंने कहा कि मांग एवं उपलब्धता के आधार पर सूचीबद्ध कर स्वास्थ्य विभाग इसकी आपूर्ति करेगा।

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दिग्विजय सिंह ने दिया था सुझाव 

इस बारे में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शिवराज को सुझाव दिया था। सिंह ने कहा था कि मैंने दिनांक 3 अप्रैल 2020 को माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों की तरह ही फील्ड में काम कर रहे सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पुलिसकर्मियों को 50 लाख रूपये तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने का अनुरोध किया था। मध्यप्रदेश सरकार को भी मेरे इस सुझाव पर गौर करना चाहिये। उन्होंिने लिखा था कि हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी डॉक्टरों, नर्सों व अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को आगामी तीन माह तक दोगुना वेतन दिया जाएगा। मध्य प्रदेश में भी कोविड-19 से लड़ रहे उक्त सभी स्वास्थ्यकर्मियों को हरियाणा की तर्ज पर तीन माह तक दोगुना वेतन दिया जाना चाहिए।

 

डॉ. प्रद्युम्न पांडे द्वारा संक्रमण से ग्रसित मरीज की मृत्यु होने के बाद उसकी रिपोर्ट आने तक डेड बॉडी मर्चुरी में रखे जाने की परेशानी बताने पर उन्हें बताया गया कि अब इस आदेश को निरस्त कर दिया गया है। मृत व्यक्ति के रिपोर्ट आने का इंतजार ना करते हुए उसका अंतिम संस्कार किया जा सकता है।