भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी सजा: अहमदाबाद ब्लास्ट के 49 दोषियों में 38 को फांसी, 11 को उम्रकैद

अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 हुए थे सीरियल ब्लास्ट, दोषियों ने 70 मिनट में किए थे 21 धमाके, कोर्ट ने एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई

Updated: Feb 18, 2022, 07:04 AM IST

Photo Courtesy: The Indian Express
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अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में स्पेशल कोर्ट ने दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 11 दोषियों को आखिरी सांस तक कैद में रहने की सजा सुनाई है। आजाद भारत के इतिहास में यह सबसे बड़ी सजा है जब एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा हुई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट की कार्यवाही के दौरान दोषियों की वर्चुअली पेशी हुई और जब स्पेशल जज सजा सुना रहे थे तब दोषी अलग-अलग जेलों में बैठे हुए थे। दोषियों को सजा सुनाने के अलावा कोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को 1 लाख रुपए, गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए दिए जाएं।

70 मिनट, 21 धमाके और 56 लोगों की मौत

अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाके में, 70 मिनट के भीतर 21 बम धमाके हुए थे। शहर के विभिन्न हिस्सों में हुए इन धमाकों में कम से कम 56 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे। अदालत में 13 साल से भी ज्यादा समय तक मामला चलने के बाद, पिछले सप्ताह 49 लोगों को दोषी ठहराया गया और 28 अन्य को बरी कर दिया गया। अभियोजन पक्ष ने सोमवार को दलीलें खत्म की थी और अभियुक्तों को अधिकतम सजा देने का अनुरोध किया था।

नहीं ब्लास्ट हुए थे 29 बम

इस मामले में विचाराधीन 78 आरोपियों में से एक सरकारी गवाह बन गया था। पुलिस के मुताबिक सभी आरोपी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हैं। पुलिस का कहना है कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने 2002 में हुए गोधरा दंगे का प्रतिशोध लेने के लिए बम धमाके की साजिश रची थी। यह ब्लास्ट और भी भीषण होता लेकिन गनीमत रही की 29 बम नहीं फट पाए थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।