भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी, 5 हजार लोगों पर होगा थर्ड फेज का परीक्षण

कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों के नाक में ड्राप के जरिए दी जाएगी वैक्सीन, सफल ट्रायल होने पर इंजेक्शन के दर्द से मिलेगी मुक्ति, इस BBV154 वैक्सीन का निर्माण भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन ने मिलकर किया है

Updated: Jan 28, 2022, 12:34 PM IST

Photo Courtesy: india.com
Photo Courtesy: india.com

देश को जल्द ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक और हथियार मिलने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। सरकार ने भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसका ट्रायल देशभर में किया जाएगा। अगर यह वैक्सीन ट्रायल में असरदार साबित हुई तो इसे बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह वैक्सीन नाक में ड्राप के माध्यम से दी जाएगी। इससे लोगों को इंजेक्शन के दर्द से मुक्ति मिलेगी।

भारत बायोटेक की इस इंट्रानेजल वैक्सीन को कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिली है। इस वैक्सीन का नाम BBV154 है। इस वैक्सीन का निर्माण भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन मिलकर कर रहे हैं। इस नेजल वैक्सीन का फेज-1 और फेज-2 का ट्रायल पूरा हो चुका है। अब फेज-3 का ट्रायल को मंजूरी दी गई है। भारत बायोटेक ने दावा किया था कि वह 2022 में नेजल वैक्सीन के 100 करोड़ डोज के प्रोडक्शन कर सकेगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली एम्स समेत 9 जगहों पर इस नेजल वैक्सीन का ट्रायल होगा। 

और पढ़ें: भय्यूजी महाराज आत्महत्या केस में 3 को सजा, आध्यात्मिक गुरू के सेवादार, ड्राइवर और शिष्या को 6 साल की जेल

बताया जा रहा है कि भारत बायोटेक का 5 हजार लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल करेगी। जिनमें 2500 कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले और बाकी 2500 लोग कोवैक्सीन की डोज लेने वाले लोग होंगे। यह ट्रायल उन्हीं लोगों पर होगा जिन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज लिए 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया है। इन्हीं लोगों को नेजल बूस्टर डोज दी जाएगी। मार्च से बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू होने वाला है। अगर यह नेजल वैक्सीन कारगर रही तो नाक के जरिए वैक्सीन देने से बच्चों के टीकाकरण में आसानी होगी। इंजेक्शन की अपेक्षा नेजल वैक्सीन से काफी सहूलियत होगी। नेजल वैक्सीन के पहले फेज के ट्रायल में 18 से 60 साल की उम्र के लोगों को शामिल किया गया था। नेजल वैक्सीन वॉलेंटियर पर भी असरदार साबित हुई है। इसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं मिला है। सरकार ने अगस्त 2021 में फेज-2 का ट्रायल मंजूर किया था। उसके सफल होने के बाद दिसंबर 2021 में तीसरे फेज के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जो अब जाकर मिल गई है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इसके इमरजेंसी यूज की परमीशन के लिए भी आवेदन दिया जाएगा।

नेजल वैक्सीन के असल के बारे में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इम्युनोलॉजिस्ट जोस ऑर्दोवास मॉनटेन्स का दावा है कि अगर वायरस से लड़ाई को मजबूत बनाना है तो टीका वहीं लगाना चाहिए जहां से वायरस सीधे शरीर में प्रवेश कर रहा है। उनका कहना है कि जो टीका लोगों के हाथों में लगाया जा रहा है वो उसमें मौजूद तत्त्वों को एंटीबॉडीज और टी-कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं के आसपास पहुंचाती हैं। अगर यह वैक्सीन सीधे नाक से दी जाए तो नाक, श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्सों के साथ लंग्स में मजबूत इम्युनिटी डवलप होंगी। वहीं इसके साथ ही एंटीबॉडीज और टी-कोशिकाएं भी अपना काम करेंगी। जब वायरस जब नाक से शरीर में प्रवेश करेगा तभी नाक में मौजूद इम्यून सिस्टम उसे निष्क्रिय कर देगा। नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्युन रिस्पॉन्स डवलप करती है, लेकिन मस्कुलर वैक्सीन ऐसा करने में सक्षम नहीं है।