राहत पैकेज से अर्थव्यवस्था को फायदा नहीं

क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है.

Publish: May 21, 2020, 07:38 AM IST

क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में अर्थव्यवस्था के लिए तात्कालिक प्रोत्साहन का अभाव है और हो सकता है कि देश की आर्थिक वृद्धि को ठीक करने के लिए पर्याप्त साबित ना हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक असर को कम करने के लिए 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10 प्रतिशत के बराबर पैकेज की घोषणा की थी।

क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख (भारत इक्विटी शोध) जितेंद्र गोहिल ने ‘भारतीय बाजार परिदृश्य एवं रणनीति’ रिपोर्ट में कहा, ‘‘कोविड-19 संकट को लेकर भारत की प्रतिक्रिया में निकट भविष्य के लिए किसी बड़े या खास राजकोषीय प्रोत्साहन का अभाव है, ये विकास को बढ़ावा देने और आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने में असफल है।’’

उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में वास्तविक राजकोषीय खर्च लगभग दो लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का केवल एक प्रतिशत) है, जो सरकार के फैसलों में वित्तीय सावधानी को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि देश की बिगड़ती जीडीपी ग्रोथ को देखते हुए राजकोषीय समर्थन की कमी से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है।

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गोहिल ने कहा कि बाजार मूल्य आधारित जीडीपी के शून्य होने के साथ ही भारत के ऋण-जीडीपी अनुपात के 80 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है और इसके बढ़ने से भारत की क्रेडिट रेटिंग के लिए चिंता की बात हो सकती है।

उन्होंने कहा कि अगर अगली दो तिमाहियों में वृद्धि ठीक नहीं होती है, तो देश के बुनियादी संकेतक खराब हो सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार अगले कुछ महीनों में नए उपायों की घोषणा करेगी।