कोयले के कारोबार में गुजराती कंपनियों का काला खेल, 60 लाख टन कोयला बेचकर किया हजारों करोड़ का घोटाला

गुजरात में सबसे बड़े कोयला घोटाले का भंडाफोड़, कोल इंडिया की नाक के नीचे लघु उद्योगों के लिये आवंटित रियायती दर के कोयले की हुई कालाबाजारी, कांग्रेस ने साधा भाजपा सरकार पर निशाना

Updated: Feb 23, 2022, 01:12 PM IST

अहमदाबाद। गुजरात में देश के सबसे बड़े कोयला घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि कोल इंडिया के नाक के नीचे से कोयला माफियाओं ने करीब 6 हजार करोड़ रुपए की काली कमाई की है। इस पूरे सिंडिकेट में उच्च पदस्थ अधिकारी-बड़े नेता और कोयला माफियाओं की भागीदारी के संकेत हैं।

गुजरात के प्रमुख हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने इस पूरे खेल का खुलासा किया है। भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 14 साल में गुजरात सरकार की कई एजेंसियों ने स्मॉल और मीडियम लेवल इंडस्ट्रीज को कोयला देने के बजाय इसे दूसरे राज्य के उद्योगों को ज्यादा कीमत पर बेचकर 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है। कोल इंडिया की विभिन्न कोयला खदानों से निकाला गया कोयला उन उद्योगों तक कभी पहुंचा ही नहीं, जिनके लिए उसे निकाला गया था।

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दरअसल, देश भर में लघु उद्योगों को कोयला आवंटन के लिए भारत सरकार ने विधिवत नीति निर्धारित की हुई है।लघु उद्योगों को रियायती दर पर कोयला दिया जाते हैं। लघु उद्योगों को वितरित करने के लिए कोल इंडिया राज्यों को कोयला आवंटित करता है और उसके बाद राज्य द्वारा नियुक्त एजेंसी इसका आगे वितरण करती है। गुजरात सरकार ने चार निजी एजेंसियों को कोयला वितरण का ठेका दे रखा है। इनमें काठियावाड़ कोल एंड कोक कंज्यूमर्स एसोसिएशन, द गुजरात कोल कोक ट्रेडर्स एंड कंज्यूमर्स एसोसिएशन, सौराष्ट्र ब्रिकवेटिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और साउथ गुजरात फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज़ शामिल है।

हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से तीन कंपनियों का एड्रेस ही नकली है। इन एजेंसियों का काम कोल कम्पनियों से कोयला उठा कर गुजरात के लघु उद्योंगों को उपलब्ध करवाना है। लेकिन ये एजेंसियां पिछले 14 वर्षों से लघु उद्योगों को देने के लिए कोयला उठा तो रही हैं लेकिन लघु उद्योगों को कभी कोयला प्राप्त नहीं हुआ। यहां से शुरू होते है काले कोयले के कारोबार का काला खेल। ये कंपनियां कोयले को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के व्यापारियों को ब्लैक में बेच देती हैं।

केंद्र सरकार की नीति के मुताबिक सेना, राज्यों के बिजली घरों और लघु उद्योगों के लिये कोयले का रियायत दर तय है। बताया जाता है कि सभी कर देकर कोयले की कीमत 2800 से 3200रु प्रति टन तक होती है। हालांकि, रियायत दर पर सभी को कोयले नहीं मिलते हैं। कोई आम ट्रेडर या फैक्ट्री को यदि कोयला खरीदना हो तो उसके लिए ऑनलाइन नीलामी होती है। इसके बाद उन्हें कोयला लगभग 11 हज़ार रु प्रति टन क़ीमत पर मिलता है।

गुजरात की एजेंसियां जो कोयला लघु उद्योगों को देने के लिए उठाती हैं, उनसे ट्रेडर्स संपर्क करते हैं और 11 क बजाए 9 से 10 हजार रु प्रति टन कीमत पर कोयला खरीदते हैं। जानकारी के मुताबिक कोल इंडिया की खदानों से गुजरात के व्यापारियों, छोटे उद्योगों के नाम पर साल 2008 से अबतक 60 लाख टन कोयला निकाला गया है। इन 60 लाख टन कोयले को बेचकर कंपनियों ने 5 से 6 हजार करोड़ रुपए अवैध रूप से कमाया।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मामले पर कहा है कि शायद भाजपा सरकार का जबाब होगा की ‘न कोई कोयला लाया, न कोयला आया’, मामला बंद, पैसा हज्म।'