जरा आंख में भर लो पानी, लता दी ने जब पंडित नेहरू को रुला दिया था, रोचक है इस गाने के पीछे की कहानी

'ये मेरे वतन के लोगों' गाने के लिए लता मंगेशकर तैयार नहीं थीं, बहुत मान-मनौव्वल के बाद हुईं थी राजी, जब उन्होंने इसे गाया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू समेत पूरे देश की आंखों में आंसू ला दिया था

Updated: Feb 06, 2022, 09:33 AM IST

मुंबई। आजादी मिलने के बाद भारत में 'ये मेरे वतन के लोगों' से ज्यादा मशहूर शायद ही कोई गाना हो। आज इस गीत को आवाज देने वाली लता मंगेशकर खामोश हो गयीं। स्वर कोकिला के निधन से पूरे देश में शोक का लहर है। हम आपको 'ये मेरे वतन के लोगों' गीत से जुड़े रोचक किस्से बता रहे हैं, जब इस गीत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को रुला दिया था। 

इस गाना के लेखन से लेकर जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आसूं तक, इसके किस्से बेहद दिलचस्प हैं। दरअसल, 1962 के युद्ध में भारत चीन से बुरी तरह चुका था। देश के सैंकड़ों सैनिक शहीद हो गए थे। युद्ध के कारण देश के आत्मविश्वास को गहरा सदमा लगा था। उसी समय मशहूर कवि प्रदीप के मन में आया कि ऐसा कुछ लिखूं जिससे देश का आत्मविश्वास दोबारा जाग उठे। यहीं से शुरू होता है इस गीत के जन्म लेने का सिलसिला।

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कवि प्रदीप की बेटी कि किताब के मुताबिक प्रदीप मुंबई में माहिम समुद्रतट पर टहल रहे थे। तभी उनके दिमाग में कोई शब्द कौंधा। उन्होंने अपने साथी से कलम और कागज मांगा और लिखना शुरू कर दिया। उसी समय इस महान गाने का जन्म हुआ जिसने देश में सबको रूला दिया। जब प्रदीप ने पहली बार इस गीत को गाने के लिए लता मंगेशकर को प्रस्ताव दिया तो उन्होंने तुरंत इसे ठुकरा दिया। तब लता दी के पास समय नहीं था की वह इस गाने का रिहर्सल करें। चूंकि, इस गाने को सबसे पहले 1963 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में गाया जाना था।

काफी मशक्कत और मान-मनौव्वल के बाद लता इस गीत को गाने के लिए तैयार हुईं। लता को स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए दिल्ली बुलाया गया। गाने के कंपोजर सी रामचंद्र थे। दिल्ली के जिस स्टेडियम में समारोह होना था, वहां तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णनन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी मौजूद थी। इसके अलावा दिलीप कुमार, राज कपूर, मेहबूब खान, शंकर-जयकिशन, सहित तमाम बड़ी शख्सियतें आमंत्रित थीं। यह कार्यक्रम आर्मी के जवानों के लिए फंड इकट्ठा करने आयोजित किया गया था।

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इतने नामचीन हस्तियों के सामने इस गाने को गाने में लता काफी नर्वस थीं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि, ‘छकाछक भरे स्टेडियम में मैंने भजन ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम और फिर ऐ मेरे वतन के लोगों गाया। प्रस्तुति के बाद मैंने काफी राहत महसूस की। मुझे नहीं पता था कि दर्शक इस गीत से बेहद प्रभावित हैं। कुछ देर बाद मेहबूब खान मेरे पास आए और बोले चलो आपको पंडित जी ने बुलाया है। इसके बाद महबूब मुझे उनलोगों के पास लेकर गए और बोले 'ये रही हमारी लता। आपको कैसा लगा इसका गाना?'

लता मंगेशकर कहती हैं, 'मैं उस वक़्त हैरान हो गईं जब स्वय पंडित नेहरू सहित वहां मौजूद अन्य सभी लोगों ने खड़े होकर मेरा अभिवादन किया। पंडित जी मुझसे कहा, ‘बहुत अच्छा मेरी आंखों में पानी आ गया’। जब मैं मुंबई लौटी तो मुझे इसका कोई अंदाजा नहीं था कि ये गीत इतना लोकप्रिय हो जाएगा। हालांकि कवि प्रदीप ने मुझसे कहा था कि देखना यह गीत इतना लोकप्रिय होगा कि तुम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती।'

कार्यक्रम खत्म होने के लता दी कि प्रस्तुति का मास्टर टेप विविध भारती स्टेशन भेजा गया और बेहद कम समय में HMV उसका कैसेट बनवा बाज़ार में ले आई। देखते देखते ये गाना एक तरह का भारत की आवाज बन गईं।