धर्म संसद में दिए बयानों पर बोले आरएसएस प्रमुख, ऐसी बातें नहीं करतीं हिंदुत्व की विचारधारा का प्रतिनिधित्व

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में संविधान को लेकर भी टिप्पणी की, उन्होंने संविधान और हिंदुत्व की प्रवृति को एक बता दिया

Updated: Feb 07, 2022, 03:50 AM IST

Photo Courtesy: India Tv
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नई दिल्ली। धर्म संसद में मुस्लिमों के नरसंहार को लेकर किए गए आह्वान और हेट स्पीच से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दूरी बना ली है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जो बातें धर्म संसद में बोली गईं, उससे हिंदुत्व का कोई सरोकार नहीं है। और न ही वे बातें हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। 

यह बातें मोहन भागवत ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। मोहन भागवत ने कहा कि कोई भी बात अगर गुस्से में कही जाए, वह हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती। मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस और हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग ऐसी बातों का समर्थन नहीं करते।

मोहन भागवत ने कहा कि व्यक्तिगत लाभ की मंशा से दिया गया कोई भी बयान हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं करता। इतना ही नहीं आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि हिंदुत्व किसी वाद से नहीं जुड़ा हुआ है। बल्कि इसका अंग्रेजी अनुवाद हिंदूनेस है।

मोहन भागवत ने कहा कि भारत के संविधान की मूल प्रवृति हिंदुत्व की ही है। सरसंघचालक के मुताबिक हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली ही है। मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व  भी राष्ट्र की अखंडता की बात करता है। भिन्नता का मतलब अलगाव कतई नहीं होता।