विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं नीतीश कुमार, बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर के संकेत

नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच हाल ही में मुलाकात हुई थी, दावा किया जा रहा है कि यह मुलाकात नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर राज़ी करने के लिए हुई थी, दावा है कि नीतीश कुमार को मनाने की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर को ही दी गई है

Updated: Feb 22, 2022, 06:03 AM IST

नई दिल्ली। देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इस साल समाप्त हो रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रपति का उम्मीदवार कौन होगा इस पर अभी सस्पेंस बरकरार है। लेकिन विपक्षी खेमे से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की सुगबुगाहट तेज़ है। दावा किया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकते हैं। 

नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का चेहरा बनाने की कवायद तेलांगना सीएम के चंद्रशेखर राव की तरफ से की जा रही है। इसके लिए नीतीश कुमार को राज़ी करने की जिम्मेदारी उनके सहयोगी रहे प्रशांत किशोर को दी गई है। बीते दिनों नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच हुई मुलाकात को लेकर भी यह अटकलें तेज़ हैं कि बिहार सीएम और चुनावी रणनीतिकार के बीच इसी सिलसिले में हुई थी। सीएम नीतीश से मिलने से पहले प्रशांत किशोर की तेलंगाना सीएम केसीआर से मुलाकात हुई थी। अटकलें तेज़ हैं कि प्रशांत किशोर ही नीतीश को मनाने के लिए फिल्डिंग सेट कर रहे हैं। 

हाल ही में तेलंगाना सीएम केसीआर ने बीजेपी के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा खोला है। वे लगातार बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले केसीआर ने महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केसीआर समाजवादी पार्टी, टीएमसी, आरजेडी, जेडीयू, शिवसेना जैसे दलों को एक साथ लाने की कवायद में जुटे हुए हैं, जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति चुनावों में बीजेपी को बड़ा झटका देकर हो सकती है। 

बिहार सीएम नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलों के बीच बिहार की राजनीति में भी बड़े उलटफेर के संकेत मिलने लगे हैं। अगर नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष का चेहरा बनते हैं, तो ऐसे में उनके एक बार फिर पाला बदलने की संभावना अधिक है। हाल ही में आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की तेलंगाना सीएम केसीआर, महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के साथ मुलाकात भी हुई थी। अब इस मुलाकात को भी बीजेपी को घेरने की कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। 

बिहार विधानसभा चुनाव के समय ऐसी चर्चा जोरों पर थी कि बीजेपी नीतीश कुमार को केंद्र में भेज सकती है। खुद नीतीश कुमार ने अंतिम चरण के चुनाव में यह घोषणा की थी कि यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का आखिरी चुनाव है। चुनाव परिणाम सामने आने के बाद नीतीश कुमार की जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। तब ऐसी चर्चा भी तेज हो गई थी कि नीतीश कुमार नैतिकता के आधार पर सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे। हालांकि बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री पद की गद्दी सौंपी। 

लेकिन इसके बाद बीजेपी में उनके सबसे भरोसेमंद माने जाने वाले सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया। सुशील मोदी को राज्यसभा भेजे जाने के साथ साथ बीजेपी ने अपने दो उपमुख्यमंत्री नियुक्त कर दिए। इसे नीतीश कुमार पर बीजेपी द्वारा नियंत्रण और निगरानी रखे जाने के तौर पर देखा गया। नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद से ही बिहार की सियासत में इस बात को लेकर सुगबुगाहट तेज़ थी कि बीजेपी उन्हें उपराष्ट्रपति बना सकती है। लेकिन अब विपक्ष नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति पद के मुकाबला बड़ा पद ऑफर करने की तैयारी कर रहा है।