नेहरू, इंदिरा और राजीव, देश के वो तीन प्रधानमंत्री जो स्वयं पेश कर चुके हैं बजट, जानें ऐसा क्यों हुआ

आमतौर पर वित्त मंत्री ही पेश करते हैं बजट, लेकिन देश में ऐसा तीन मौके आए जब प्रधानमंत्रियों को स्वयं पेश करना पड़ा था आम बजट, वित्त मंत्री के नहीं होने के कारण प्रधानमंत्रियों ने संभाला था वित्त विभाग

Updated: Feb 01, 2022, 06:14 AM IST

नई दिल्ली। आमतौर पर देश के वित्त मंत्री संसद में यूनियन बजट पेश करते हैं। लेकिन आजाद भारत के इतिहास में तीन मौके ऐसे आए जब स्वयं प्रधानमंत्रियों ने बजट पेश किया था। वित्त मंत्री की गैर मौजूदगी में वित्त विभाग का बागडोर संभालने वाले वे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी थे। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसा कब और क्यों हुआ जब प्रधानमंत्रियों ने को स्वयं पेश करना पड़ा था बजट?

पीएम नेहरू ने की थी शुरुआत

आजादी के एक दशक बाद वित्त वर्ष 1958-59 में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद में आम बजट पेश किया था। तब टीटी कृष्णामाचारी वित्त मंत्री थे, लेकिन मुंद्रा घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। बजट सत्र से पहले वित्त मंत्री के इस्तीफे के बाद वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो स्वयं पीएम नेहरू ने अपने पास ले लिया और आम बजट भी खुद ही पेश किया। 

यह वो समय था जब देश के कई हिस्सों में भीषण अकाल के बावजूद कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी देखी गई। पीएम नेहरू ने इस ऐतिहासिक बजट में गिफ्ट टैक्स लागू किया था। इसमें 10 हजार रुपये से ज्यादा की संपत्ति के ट्रांसफर पर गिफ्ट टैक्‍स का प्रावधान किया गया। हालांकि, एक छूट यह भी रखी गई कि पत्‍नी को 1 लाख रुपये तक के गिफ्ट देने पर टैक्‍स नहीं लगेगा।

इंदिरा गांधी बजट पेश करने वाली पहली महिला

इंदिरा गांधी संसद में आम बजट पेश करने वाली देश की पहली महिला बनीं। इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए वित्त वर्ष 1970-71 का बजट पेश किया था। दरअसल, देश में इंदिरा गांधी की सरकार थी और मोरारजी देसाई उप प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्रालय भी संभाल रहे थे। मोरारजी देसाई कांग्रेस पार्टी के भीतर बगावत पर उतर आए और कांग्रेस ने उन्हें 12 नवंबर 1969 को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने स्वयं वित्त मंत्रालय संभाला और 28 फरवरी 1970 को बजट पेश किया।

इंदिरा गांधी के इस ऐतिहासिक बजट में ऐलान हुआ कि अब से EPF में कर्मचारी के 8% और संस्था की भागीदारी के अलावा सरकार भी अपना हिस्सा देगी। उसी साल से EPF में सरकारी हिस्से को जोड़ा गया, जो कर्मचारी की मौत के बाद फैमिली पेंशन के रूप में एकमुश्त राशि परिवार को दिया जाता है। इस बजट में इंदिरा गांधी ने इनडायरेक्‍ट टैक्‍स में एक बड़ा बदलाव किया, जिसके परिणामस्वरूप सिगरेट पर टैक्स 3 फीसदी से बढ़कर सीधे 22 फीसदी हो गए।

राजीव गांधी ने जारी रखा परंपरा

जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे प्रधानमंत्री राजीव गांधी हुए जिन्होंने पीएम रहते हुए विपरीत परिस्थितियों में स्वयं बजट पेश करने की परंपरा को आगे बढ़ाया। वित्त वर्ष 1987-88 का बजट देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पेश किया था। दरअसल, कैबिनेट में आपसी मतभेद होने के कारण बजट सत्र से पहले ही तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इस दौरान राजीव ने वित्त मंत्रालय अपने पास रखा और आम बजट पेश किया।

राजीव गांधी द्वारा पेश किए गए इस बजट को कई कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जाता है। इस ऐतिहासिक बजट में राजीव गांधी ने पहली बार कॉरपोरेट टैक्‍स का प्रावधान किया। उन्होंने विदेशी यात्रा के लिए फॉरेन एक्‍सचेंज पर 15 फीसदी की दर से टैक्‍स लगाने का प्रावधान किया, जिससे सरकार को तकरीबन 60 करोड़ रुपए की अतिरिक्‍त रेवेन्‍यू प्राप्त हुआ। इस बजट में डिफेंस सेक्टर के लिए 12 हजार 512 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।