आज दो ट्रेनों की होगी आमने-सामने टक्कर, 160KM की रफ्तार से आएंगी ट्रेनें, रेल मंत्री भी होंगे सवार

भारतीय रेलवे के लिए ऐतिहासिक होगा आज का दिन, सुरक्षा कवच को जांचने के लिए होगी दो ट्रेनों की भिड़ंत, एक में बैठे होंगे रेल मंत्री, दूसरे में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन

Updated: Mar 04, 2022, 04:03 AM IST

Photo Courtesy: DNA
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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के लिए आज का दिन कई मामलों में ऐतिहासिक साबित होने वाला है। शुक्रवार को दो ट्रेनों के बीच आमने-सामने से टक्कर होगी। इस दौरान एक ट्रेन में स्वयं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे वहीं दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन बैठे रहेंगे। 

दरअसल, स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली कवच का परीक्षण आज यानी शुक्रवार चार मार्च को सिकंदराबाद में किया जाएगा। इसमें दो ट्रेनें पूरी रफ्तार के साथ विपरीत दिशा से एक दूसरे की ओर बढ़ेंगी। लेकिन ‘कवच’ के कारण ये दोनों ट्रेन टकराएंगी नहीं। रेलवे अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए सिकंदराबाद पहुंचेंगे। 

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रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। भारतीय रेलवे द्वारा विकसित इस कवच तकनीक को दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली माना जा रहा है। ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में यह तकनीक रेलवे की मदद करेगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस तकनीक के कारण मानवीय त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जाएगी। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह तकनीक इतनी सटीक है कि अगर दो ट्रेन पूरी रफ्तार में आमने-सामने आ जाएं तो भी टक्कर नहीं होगी। लाल सिग्नल पार होते ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगा। साथ ही, पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेन बंद हो जाएंगी। पीछे से आने वाली ट्रेन को भी कवच बचा लेगा। कवच तकनीक ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट के सभी क्रियाकलापों जैसे ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। 

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अधिकारियों के मुताबिक ड्राइवर से इसी प्रकार की चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। प्रतिक्रिया नहीं होने पर चलती ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे। इसके अलावा ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। कवच में आरएफआईडी डिवाइस ट्रेन के इंजन के भीतर, सिग्नल सिस्टम, रेलवे स्टेशन पर लगाए जाएंगे। कवच प्रणाली जीपीएस, रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि तकनीक से चलाई जाएगी।