राहुल गांधी के भाषण पर केंद्रीय मंत्रियों का पलटवार, कानून मंत्री ने की माफी की मांग, विदेश मंत्री ने बताया इतिहास

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि संवैधानिक व्यवस्था के प्रति राहुल गांधी के मन में कोई सम्मान नहीं है, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा की राहुल गांधी खुद से सवाल पूछें

Updated: Feb 03, 2022, 03:57 AM IST

नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आक्रामक भाषण सुर्खियों में है। सदन में राहुल गांधी ने जो बातें कही है, उसपर केंद्रीय मंत्रियों का बिंदुवार पलटवार आने लगा है। देश के कानून मंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक ने राहुल गांधी पर सोशल मीडिया के माध्यम से हमला किया है। कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राहुल से माफी की मांग की है, वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें अपने तरीके से इतिहास बताया है।

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'निजी तौर पर मैं राहुल गांधी को कभी सीरियसली नहीं लेता हूं। चूंकि वे विपक्ष के नेता हैं और उन्होंने सदन में ये बातें कही है इसलिए मुझे संज्ञान लेना पड़ा है। संवैधानिक व्यवस्था के प्रति उनके मन में कोई सम्मान नहीं है। मैं केवल भारत के कानून मंत्री के तौर पर नहीं बल्कि एक सामान्य नागरिक के तौर पर भी राहुल गांधी के उस बयान की निंदा करता हूं जो उन्होंने देश के न्यायिक व्यवस्था व चुनाव आयोग को लेकर दिया है। राहुल गांधी को लोगों, न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग से तुरंत माफी मांगनी चाहिए।'

दरअसल, राहुल गांधी ने लोक सभा में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान बहस में भाग लेते हुए कहा था कि, 'एक विचारधारा के लोगों द्वारा हमारे देश की संस्थानों पर हमला किया जा रहा है और इसके लिए न्यायपालिका,  चुनाव आयोग व पेगासस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। चुनाव आयोग, न्यायपालिका समेत तमाम संस्थाओं को कब्जे में लेने का प्रयास किया जा रहा है।' 

विदेश मंत्री का पलटवार

राहुल के चीन और पाकिस्तान वाले बयान पर देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर का पलटवार आया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया कि इस सरकार के कारण पाकिस्तान और चीन एकजुट हो गए हैं। कुछ ऐतिहासिक तथ्य इस प्रकार हैं। 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी चीन को सौंप दिया था। चीन ने 1970 के दशक में PoK के रास्ते काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था। 1970 के दशक से, दोनों देशों के बीच घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी था। 2013 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शुरू हुआ। आप स्वयं से पूछें, क्या चीन और पाकिस्तान तब दूर थे?

जयशंकर ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, 'लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा कि हमें गणतंत्र दिवस के लिए एक विदेशी अतिथि नहीं मिला। भारत के लोग जानते हैं कि हम एक कोरोना लहर के बीच में थे। 5 मध्य एशियाई राष्ट्रपति, जो आने वाले थे, उन्होंने 27 जनवरी को एक वर्चुअल माध्यम शिखर सम्मेलन किया। क्या राहुल गांधी ने इसे भूल गए?' बता दें कि भारत ने कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शरीक होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वे नहीं आए।

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राहुल गांधी ने क्या कहा था

राहुल गांधी अपने भाषण के दौरान कहा था की, 'भारत का रणनीतिक लक्ष्य चीन और पाकिस्तान को अलग रखना होना चाहिए था, लेकिन आपने जो किया है वो उन्हें एक साथ ले आया। हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं उसे कम मत समझिए। यह भारत के लिए एक गंभीर खतरा है। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं से पूछें कि गणतंत्र दिवस पर आपको मेहमान क्यों नहीं मिल पा रहे हैं। आज भारत पूरी तरह से अलग-थलग और घिरा हुआ है। हम श्रीलंका, नेपाल, बर्मा, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन से घिरे हुए हैं। हर जगह हम घिरे हुए हैं. हमारे विरोधी हमारी स्थिति को समझते हैं।'