मदुरई में हुई जल्लीकट्टू प्रतियोगिता, वीडियो देख बोले लोग पशुओं के साथ क्रूरता की हद

चार दिवसीय पोंगल के मौके पर मदुरई में जल्लीकट्टू प्रतियोगिता का आयोजन, बड़ी संख्या में पहुंचे लोग, कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के बाद मिली एंट्री, लोगों ने इसे पशुओं के साथ क्रूरता करार दिया

Updated: Jan 17, 2022, 05:29 AM IST

Photo Courtesy: the print
Photo Courtesy: the print

देशभर में 14 से 17 जनवरी तक मनाए जाने वाले पोंगल पर्व की धूम हैं। पोंगल के मौके पर तमिलनाडु में जल्लीकट्टू प्रतियोगिता होती है। इसी कड़ी में मदुरई में जल्लीकट्टू प्रतियोगिता हुई। जिसमें बैलों के साथ लोगों ने लड़ाई की। जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब देखे जा रहे हैं। इन वीडियों को देख कई लोग परंपरा का निर्वाह मान रहे हैं तो कई लोग इसे पशुओं के साथ क्रूरता करार दे रहे हैं। जल्लीकट्टू  दो हजार साल पुराना खेल है। इसे तमिलनाडु का गौरव और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।

मदुरै में जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता के दौरान कई लोग घायल भी हुए। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों का परंपरागत खेल माना जाता है। इसका आयोजन खास तौर पर पोंगल के मौके पर होता है। इस खेल में बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Humsamvet (@humsamvet)

यह दो शब्दों से मिलकर बना है। जली और कट्टू से जोड़कर बनाया गया है। तमिल में जल्ली का मतलब सिक्के की थैली होता है, और कट्टू का अर्थ है बैल की सींग। तमिलनाडु के गौरव औऱ संस्कृति का प्रतीक इस खेल को माना जाता है। इस खेल में प्रतिभागियों को एक निश्चित समय के भीतर बैल को काबू में कर करते हैं और उसकी सींग में बनी सिक्कों की थैली हासिल करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर 2014 में रोक लगा दी थी।जिसके बाद 2017 में तमिलनाडू सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में संशोधन करने के लिए ‘सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बैल की देशी नस्लों के अस्तित्व और निरंतरता को सुनिश्चित करने” के लिए एक कानून बनाया। तब से जल्लीकट्टू का लगी रोक खत्म हो गई।