MPPSC Score card : OBC आरक्षण के पेंच में फंसा सेलेक्‍शन

MPPSC Results 2020 : आखिर एमपी सरकार ओबीसी आरक्षण पर स्पष्ट रुख क्यों नहीं रखती ?

Publish: Jul 04, 2020, 05:01 AM IST

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MP PSC) ने राज्‍य सेवा एवं राज्‍य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 का स्‍कोर कार्ड तो जारी कर दिया गया मगर सेलेक्‍शन का पता नहीं है। यानि परीक्षार्थी अपनी कॉपी में नंबर तो देख पाएंगे मगर उन्‍हें यह पता नहीं चलेगा कि चयन हुआ है या नहीं। इसका कारण ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण पर Shivraj Government का ढुलमुल रवैया है। उपचुनाव के पहले बीजेपी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने ‘माई के लाल’ वाले डायलॉग को मुद्दा नहीं बनने देना चाहेगी लेकिन युवाओं को खुश भी करना है। इसलिए सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे की तर्ज पर आयोग ने स्‍कोर कार्ड जारी कर भर्ती होने का संकेत दिया है मगर सेलेक्‍शन किसका हुआ है किसी को खबर नहीं है।

एमपीपीएससी ने राज्यसेवा में कुल 540 पदों के लिए राज्‍य सेवा एवं राज्‍य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 का आयोजन जनवरी 2020 को किया था। परीक्षा के लिए 3 लाख 66 हजार 353 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इनमें से 3 लाख 20 हजार से ज्यादा उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। लंबे इंतजार के बाद अब राज्‍य सेवा एवं राज्‍य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 के प्राप्‍तांक का स्‍कोर कार्ड जारी किया। परीक्षार्थी 29 जुलाई तक तय शुल्‍क का भुगतान कर अपने प्राप्‍तांक देख सकते हैं। जब परीक्षार्थियों ने अपने स्‍कोर कार्ड देखे तो वे ठगे से रह गए। आयोग ने उन्‍हें उनके नंबर तो बताए मगर यह नहीं बताया कि उनका चयन हुआ है या नहीं। जबकि प्राप्‍तांक के साथ सेलेक्‍शन की जानकारी दी जाती थी।

सूत्रों के अनुसार आयोग ने ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थिति साफ नहीं होने के कारण सेलेक्‍शन लिस्‍ट रोक रखी है। इसके पहले भी पूर्व घोषित शेड्यूल के मुताबिक 31 जनवरी को रिजल्‍ट जारी होना था मगर ओबीसी आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में होने के कारण आयोग ने रिजल्ट घोषित नहीं किया था।

हाईकोर्ट में शिवराज सरकार को रखना है मत

कमलनाथ सरकार ने 14 अगस्त 2019 को सरकार ने ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। इसके पहले 2 जुलाई 2019 को एक परिपत्र जारी कर सामान्‍य ईडब्ल्यूएस को भी 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने 29 फरवरी को ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा दी है। तब से इस पर निर्णय बकाया है। अप्रैल अंत में जब इस मामले पर नियमित सुनवाई शुरू हुई तब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए थे कि इस मामले पर कोर्ट में सरकार का पक्ष ताकत से रखा जाए।

माना जा रहा है कि उपचुनाव करीब है और सरकार इस मामले पर जल्‍दी कोई फैसला नहीं चाहती है। इसलिए मामला प्रक्रिया में अटका है। इस बीच युवाओं को नौकरी मिलने का संदेश देने के लिए आयोग ने स्‍कोर कार्ड जारी कर दिए मगर सेलेक्‍शन पर चुप्‍पी है।

माई का लाल बयान पड़ा था भारी

ओबीसी आरक्षण पर बीजेपी सरकार फूंक फूंक कर कदम रख रही है। इसकी वजह 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले दिया गया मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान है। एक सभा में चौहान ने कहा था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्‍म नहीं कर सकता है। इस बयान का काफी विरोध हुआ था। अब य‍दि सरकार 27 फीसदी आरक्षण स्‍वीकारती है तो सवर्ण नाराज होंगे और नकारती है तो ओबीसी वोट बैंक खतरे में पड़ेगा। इसलिए चुनाव तक असमंजस कायम रहना तय है।