जी भाई साहब जी: अमित शाह आएंगे भोपाल, किसका कद बढ़ेगा, कौन होगा मायूस

अब मध्‍य प्रदेश की यात्रा के दौरान अमित शाह मंच पर और मंच से परे क्‍या संकेत देते हैं, यह स्‍थानीय नेताओं के लिए अहम् होगा। जितने समय तक अमित शाह भोपाल में रहेंगे देखना दिलचस्‍प होगा कि वे किन नेताओं को कितनी तवज्‍जो देते हैं। वे किसे तवज्‍जो देंगे और किसके हाथ मायूसी लगेगी, इससे एमपी बीजेपी की राजनीति प्रभावित होगी।

Updated: Apr 19, 2022, 10:16 AM IST

courtesy: Bhopal Samachar
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आतिथ्‍य में हुए जनजातीय गौरव सम्‍मेलन के छह माह के अंतराल में ही बीजेपी सरकार आदिवासियों के लिए एक और भव्‍य आयोजन करने जा रही है। इस बार इस कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में गृहमंत्री अमित शाह आएंगे। आयोजन के लिए गृहमंत्री शाह की अनुमति मिलते ही कार्यक्रम की तैयारियां आरंभ हो गई हैं। 22 अप्रैल को होने वाले इस आयोजन को भव्‍य बनाने के लिए जंबूरी मैदान तय किया गया है।

आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए उन्‍हें मनचाही सौगात देने की तैयारी की जा रही है। योजना है कि जनजातीय गौरव दिवस पर 15 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो घोषणाएं की थीं उनका रिपोर्ट कार्ड गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में रखा जाए। मंच से आदिवासियों को तेंदूपत्ता संग्रहण का बोनस देने सहित तमाम लाभ देने की घोषणा होगी। आदिवासियों के हितों में किए गए कामों के बखान के लिए विभाग आंकड़ें जुटाने में लग गए हैं। साथ ही नई योजनाओं पर मंथन शुरू हो गया है।

जहां शिवराज सरकार गृहमंत्री अमित शाह की इस यात्रा की तैयारी में जुट गई है, वहीं बीजेपी संगठन के स्‍तर पर तैयारी शुरू हो गई है। 2023 के चुनाव की दृष्टि से आदिवासी समुदाय के वोट साधने के लिए हो रहे इस आयोजन में निगाहें प्रदेश के नेताओं की सक्रियता पर भी टिकी रहेंगी। जितने समय तक अमित शाह भोपाल में रहेंगे देखना दिलचस्‍प होगा कि वे किन नेताओं को कितनी तवज्‍जो देते हैं।

शाह की प्रदेश की यात्राओं के दौरान प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा हमेशा उनके साथ रहते हैं। 2018 के चुनाव के पहले भोपाल आगमन के दौरान अमित शाह केवल डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा के निवास पर गए थे। शाह की इस यात्रा ने नरोत्‍तम मिश्रा की ताकत बढ़ा दी थी। अब 22 अप्रैल की यात्रा के दौरान अमित शाह मंच पर और मंच से परे क्‍या संकेत देते हैं, यह स्‍थानीय नेताओं के लिए अहम् होगा। वे किसे तवज्‍जो देंगे और किसके हाथ मायूसी लगेगी, इससे एमपी बीजेपी की राजनीति प्रभावित होगी।

डर का साया नेताओं ने बढ़ाए मंदिरों के फेरे

मध्‍य प्रदेश में नेताओं के मंदिरों के फेरे बढ़ गए हैं। तीर्थदर्शन यात्रा को दोबारा शुरू कर रही बीजेपी सरकार के मंत्री नवरात्रि के दौरान प्रदेश के विभिन्‍न देवी मंदिरों में पहुंचे। विश्वविख्यात दतिया के पीतांबरा पीठ में गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा, भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष तेजस्‍वी सूर्या उत्‍तर प्रदेश चुनाव के समय पूजा पाठ कर चुके हैं। अब मध्य प्रदेश के चुनाव की बारी है। जहां बड़े नेता पार्टी को जीत दिलाने की प्रार्थना लिए पहुंच रहे हैं तो अन्‍य नेताओं की आस टिकट बचाना है।

प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा दतिया से हैं। वे सबसे लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक पितांबरा पीठ पर नियमित जाते हैं। मां पीतांबरा शत्रुनाश की अधिष्ठात्री देवीमानी जाती  हैं। मान्यता है कि यहां माता से मांगी मन्नत हमेशा पूरी होती है। राजसत्ता पाने के लिए मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। कृषि मंत्री कमल पटेल भी दुर्गाअष्टमी पर माँ बगलामुखी नलखेड़ा पहुंचे थे। नलखेड़ा में माँ बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा है। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है।

देवी आराधना के इतर गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा का उज्‍जैन में महाकाल मंदिर जा कर पूजा करना और कमल पटेल का अन्‍य देवालयों में नियमित जाना राजनीतिकचर्चाओं का केंद्र है। इन नेताओं की पूजा को अगले चुनाव और प्रदेश में नेतृत्‍व परिवर्तन से जोड़ कर देखा जा रहा है। नरोत्‍तम मिश्रा मुख्‍यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जाते हैं और कमल पटेल भी अपने कामों को दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। चर्चा है कि दोनों नेता राह की बाधा को हटाने के लिए विशेष अनुष्ठान का सहारा ले रहे हैं।

कांग्रेस का अधूरा कार्यक्रम, लाभ से ज्‍यादा  विवाद

कांग्रेस में यह धारणा प्रबल होती जा रही है कि बीजेपी के हिंदुत्‍व कार्ड का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस नेताओं कोभी अपनी ईश भक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए। पूजा पाठ को व्‍यक्तिगत आस्‍था का विषय न मानकर सार्वजनिक प्रदर्शन कर वोट बैंक मजबूत करना चाहिए। इस तर्क के कारण ही बीते दिनों प्रदेश कार्यालय में गणेश प्रतिमा स्‍थापना, हनुमान चालीसा पाठ सहित विभिन्‍न आयोजनों की शुरुआत हुई।

पहले मौखिक रूप से धार्मिक आयोजन करने की बात कह दी जाती थी लेकिन अब पत्र जारी कर प्रदेश संगठन बाकायदा निर्देश दे रहा है। मगर, आधी अधूरी तैयारी से लाभ की जगह बदनामी हो गई। असल में, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पत्र जारी कर कहा था कि कांग्रेस नेता रामनवमी और हनुमान जयंती पर मंदिरों में जा कर विशेष पूजा अर्चना करें। इस पर भोपाल मध्‍य के विधायक आरिफ मसूद ने आपत्ति जताई। सवाल उठें कि रमजान में शामिल होने के निर्देश क्‍यों नहीं? विवाद बढ़ा तो एक और पत्र जारी कर जिला कांग्रेस कमेटियों से 14 अप्रैल को आयोजित महावीर जयंती और रमजान महीने में रोजा इफ्तार पार्टी व ईद के कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की गई है।

एक विवाद को थामने के लिए जारी पत्र में भी एक चूक हो गई। 14अप्रैल को अंबेडकर जयंती है। उसके लिए अलग से दिशा निर्देश जारी नहीं हुए हैं। खबरहै कि बड़े नेता इस दिन महू में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। मगर जिला स्‍तर पर क्‍या होना है तय नहीं है। संगठन के ही नेता कह रहे हैं कि आयोजन का कैलेंडर एकसाथ तैयार न करने के कारण ऐसी गफलत होती है। बेहतर हो कि प्रदेश कांग्रेस एक सालाना कैलेंडर जारी कर दे जिससे कोई वर्ग छूटे नहीं। वरना तो एक को साधने के चक्‍कर में सबछूट जाएंगे।