चीन की संसद ने विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को मंजूरी दी

आलोचकों ने इसे हांगकांग की स्वायत्ता पर हमला बताया है।

Publish: May 29, 2020, 04:25 AM IST

चीन की संसद ने हांगकांग के लिए नए विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को मंजूरी दे दी है। चीन का कहना है इस कानून का प्रयोग क्षेत्र में अशांति फैलने से रोकने और आतंकवादियों पर शिकंजा  कसने के लिए किया जाएगा। वहीं आलोचक और प्रदर्शनकारी इस कानून को हांगकांग की अर्धस्वायत्ता पर हमला बता रहे हैं। यह कानून चीनी सुरक्षा एजेंसियों को हांगकांग में काम करने की अनुमति देगा और हांगकांग के आरोपियों को चीन प्रत्यर्पित करने की भी अनुमति देगा। इस कानून को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ गई है।

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने हांगकांग के लिए नए सुरक्षा कानून समेत आखिरी दिन कई विधेयकों को मंजूरी दी। अब कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति ने यह विधेयक पारित कर दिया है और यह अगस्त तक कानून बन सकता है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में हांगकांग में इसके खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन होगा, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।

वहीं हांगकांग में अधिकारियों ने कहा कि यह कानून बढ़ती हिंसा और ‘‘आतंकवाद’’ पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक है और क्षेत्र के निवासियों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। उधर इस कानून के काम करने के लिए हांगकांग की संसद की मंजूरी जरूरी नहीं है।

Click: हांगकांग: राष्ट्रगान विधेयक पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प

आलोचकों को डर है कि इस कानून से बीजिंग में नेतृत्व पर सवाल उठाने, प्रदर्शन में शामिल होने और स्थानीय कानून के तहत अपने मौजूदा अधिकारों का उपयोग करने के लिए हांगकांग निवासियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। आलोचक इसे ‘एक देश और दो व्यवस्था’ के खिलाफ बता रहे हैं।

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने नए सुरक्षा कानून की निंदा करते हुए इसे हांगकांग वासियों की आजादी पर हमला बताया है। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के साथ ही व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हांगकांग के लिए चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से ‘‘नाखुश’’ हैं। इससे पहले खुद ट्रंप ने इस कानून के चलते चीन पर कार्रवाई करने की बात कही थी। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया था कि यह कार्रवाई किस तरह की होगी।

इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने 27 मई को कांग्रेस को सूचित किया कि ट्रंप प्रशासन अब हांगकांग को चीनी भूभाग का स्वायत्त क्षेत्र नहीं मानता, जिससे पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी को अमेरिका द्वारा दिए व्यापार और वित्तीय दर्जे में प्राथमिकता को वापस लेने की संभावना पैदा हो गई है।

 

वहीं चीन की तरफ से कहा गया है कि यह कानून उसका आंतरिक मामला है और इसमें किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिझिन ने ट्वीट किया, “अमेरिका यह तय नहीं करेगा कि हांगकांग स्वायत्त है या नहीं। पोम्पियो जैसे अमेरिकी नेताओं का लगता है कि हांगकांग का भविष्य उनके हाथों में है। यदि वाशिंगटन अपना दांव चलना चाहता है तो चले। हांगकांग चीन की विशाल अर्थव्यवस्था के साथ अपने विशेष रिश्ते की वजह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय हब है। यह अमेरिका के रवैये से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

 


बहरहाल ‘हांगकांग बार एसोसिएशन’ ने कहा है कि चीन का प्रस्तावित नया सुरक्षा कानून अदालतों में दिक्कतों में फंस सकता है क्योंकि बीजिंग के पास अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी के लिए लागू करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

उधर हांगकांग की संसद में एक और विवादित विधेयक पर चर्चा को लेकर शहर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस विधेयक में हांगकांग में चीन के राष्ट्रगान के अपमान को अपराध के दायरे में लाने का प्रस्ताव है। इस विधेयक का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और हांगकांग पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो चुकी हैं और पुलिस कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। फिलहाल इस विधेयक का विरोध कर रहे सांसदों के संसद में हंगामा करने का कारण चर्चा को स्थगित कर दिया गया है।