US Visa : अमेरिका ने H-1B वीज़ा पर दिसम्बर तक लगाई रोक

नौकरियों में अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता का असर भारतीय कामगारों पर पड़ेगा

Publish: Jun 23, 2020, 11:28 PM IST


अमेरिकी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही अमेरिका ने विदेशियों को रोज़गार देने वाले अन्य वीज़ा नियमों पर भी रोक लगाई है। H-1B वीज़ा के साथ साथ H-4, L-1 और J-1 वीज़ा पर भी रोक लगाई गई है। L-1 वीज़ा का संबंध इंटर-कम्पनी ट्रांसफर से है तो वहीं J-1 वीज़ा अमरीका में काम करने वाले डॉक्टर और शोधकों को दी जाती है। यह रोक 31 दिसम्बर तक के लिए लगाई गई है। लेकिन अमेरिका के इस फैसले से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि जो professionals कोरोना महामारी से लड़ने का काम कर रहे हैं, उन पर वीज़ा पाबंदी का यह आदेश लागू नहीं होगा। 

इस निलंबन का असर उनपर नहीं होगा जो पहले से हासिल वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं या फिर वो छात्र छात्राएं जो ग्रेजुएशन के बाद ओपीटी के तहत काम करते हैं। 

अमेरिका ने वीज़ा पर रोक क्यों लगाई  

अमेरिका ने विदेशी कामगारों को वीज़ा पर रोक का फैसला नौकरी में अमेरिकियों को प्राथमिकता देने के इरादे से लिया है। माना जा रहा है कि इस फैसले से अमेरिकी नागरिकों के लिए 5,25000 रोजगार के अवसर खुलेंगे। कोरोना महामारी के दौरान अमेरिका में 30 लाख से ज़्यादा लोग अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे हैं। ऐसे में अमेरिका ने अपने देशवासियों को नौकरी में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।

 वीज़ा पर रोक से भारतीय कामगारों पर क्या असर पड़ेगा

अमेरिका में भारत की एक बहुत बड़ी आबादी काम करती है। इनमे ज़्यादातर आईटी प्रोफेशनल काम करते हैं। ज़ाहिर है उनकी नौकरियों पर इस फैसले का बड़ा असर पड़ेगा। अमेरिका में हर साल लगभग 10 लाख से ज़्यादा कर्मचारी रोजगार की तलाश में अमेरिका आते हैं। ऐसे में रोज़गार का यह हिस्सा अमेरिकी नागरिकों के खाते में जाएगा। एच 2 बी वीज़ा पर रोक को छोड़कर तमाम वीज़ा पर रोक भारतीय कामगारों को प्रभावित करेगी। एच 2 बी वीज़ा केवल मैक्सिको के नागरिकों को दिया जाता है।

क्या है  ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 

अमेरिका ने एच 1 बी वीज़ा पर अप्रैल में भी दो महीने के लिए रोक लगा दी थी। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह रोक केवल कोरोना महामारी के कारण है। अमेरिका में बढ़ रही बेरोज़गारी को दृष्टिगत रखते हुए भी यह रोक लगाई गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से राष्ट्रपति बने हैं तब से ही उनका ' अमेरिका फर्स्ट ' नीति पर ज़ोर रहा है। मसलन, इस नीति के आधार पर अमेरिका के नागरिकों को रोज़गार के क्षेत्र में प्राथमिकता देना उनका चुनावी वादा भी रहा है। कोरोना महामारी के प्रसार से पहले भी यह कयास लगाए जा रहे थे कि एच-1बी वीज़ा पर रोक लगाई जा सकती है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गैर-वैश्वीकरण की नीति पर खासा ज़ोर रहा है।

अमेरिका में विदेशियों की तुलना में अमेरिकी नागरिकों को रोज़गार में प्राथमिकता देने की मांग लंबे समय से उठ रही है। और इसका बहुत बड़ा कारण अमेरिका की नौकरियों पर एशियाई कामगारों का कब्ज़ा माना जाता है।

अमेरिकी नौकरियों में भारतीय कामगारों की मजबूत स्थिति का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां भारतीय कामगार चुनावी मुद्दा बनते रहे हैं। जहां ट्रंप अमेरिका फर्स्ट के नारे पर चुनाव लड़े और जीते वहीं, इसके पहले के चुनाव भी स्थानीय लोगों को रोजगार देने के मुद्दे पर लड़े और जीते जाते रहे हैं। 2004 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जॉन केरी ने भी विदेशियों और खासकर भारतीय कामगारों की अमेरिकी नौकरियों के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। जॉन केरी अपनी सभाओं में मतदाताओं को बुश को वोट देने से आगाह करते हुए यह आरोप लगा रहे थे कि बुश के जीतने से अमेरिका की नौकरियां पूर्वी देशों की तरफ चली जाएंगी। केरी अपनी सभाओं में मतदाताओं से यह वादा करते थे कि अगर वो जीतते हैं तो उनका प्रशासन ऐसी संरक्षणवादी नीतियां तैयार करेगा कि अमेरिकी नौकरियां ' बैंगलोर ' की तरफ नहीं जा पाएंगी।