लॉकडाउन के दौरान बैंकों द्वारा कर्ज पर वसूले जा रहे ब्याज के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस भेजा है. याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी तरह की कमाई नहीं हो रही है, ऐसे में लोग किस तरह बैंकों को ब्याज दें.

असल में बैंकों ने ब्याज वसूलने पर कुछ वक्त की छूट दी है. पहले ये छूट 31 मई तक थी जिसे बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया है. हालांकि, याचिका में कहा गया है कि आमदनी ना होने पर बाद में भी ब्याज देना मुश्किल होगा.

याचिका में कहा गया कि बैंक की तरफ से ब्याज वसूलने की सीमा भले ही तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दी गई हो लेकिन बाद में भी बैंकों द्वारा ब्याज वसूलना गलत होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक से एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा. इस मामले में अब अगले हफ्ते सुनवाई होगी.

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इससे पहले रिजर्व बैंक ने लॉकडाउन को देखते हुए टर्म लोन लेने वाले ग्राहकों को राहत देते हुए अगले तीन महीनों तक किस्त ना चुकाने की छूट दी थी. जिसके बाद अधिकतर बैंकों ने मार्च की EMI को जून में लेने की बात कही थी, अब इसे बढ़ाकर अगस्त तक पहुंचा दिया गया है.