त्रिवेंद्रम। केरल सरकार ने त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट को प्राइवेट कंपनियों को दिए जाने के खिलाफ विरोध जताया है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। सीएम ने केंद्र सरकार से कहा है कि हमारे लिए केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले को लागू करने में सहयोग करना काफी मुश्किल है। उन्होंने केंद्र से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। वहीं केंद्रीय विमानन मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से हुई है।



केरल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट सरकार का कहना है कि यह फैसला पीएम मोदी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग के विपरीत है। सर्वदलीय मीटिंग के दौरान पीएम मोदी ने हमें भरोषा दिलाया था कि ऐसा नहीं होगा। अब त्रिवेंद्रम समेत तीन हवाईअड्डों को 50 साल के लिए निजी कंपनी को सौंपने की बात हो रही है। सीएम ने पत्र में इस फैसले के दौरान राज्य सरकार की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि एयरपोर्ट के संचालन और प्रबंधन को एसपीवी को स्‍थानांतरित किया जाए, जिसमें केरल सरकार बड़ी हिस्सेदार हो।

 



केंद्रीय विमानन मंत्री ने दी सफाई



मामले पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने सफाई दी है। उन्होंने इसे नैरेटिव करार देते हुए कहा है कि समानांतर नैरेटिव का सत्य से कोई मेल नहीं हो सकता। उन्होंने आरोप लगाया है कि त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के निजीकरण के फैसले के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चलाया जा रहा है। 



पूरी ने ट्वीट कर कहा, 'पट्टा हासिल करने वाली बोली में प्रति यात्री 168 रुपये शुल्क का जिक्र था जबकि केएसआईडीसी ने प्रति यात्री 135 रुपये और बोली लगाने वाली तीसरी कंपनी ने 63 रुपये प्रति यात्री की बोली लगाई थी। प्रति यात्री शुल्क 2019 की शुरुआत में हुई छह हवाईअड्डों की बोली प्रक्रिया का पैमाना था। यह छह हवाईअड्डे- लखनऊ, अहमदाबाद, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम थे. अडानी एंटरप्राइजेज ने इन छह हवाईअड्डों के लिये सबसे ज्यादा बोली लगाई थी।



 





 



उन्होंने आगे कहा कि, 'बोली प्रक्रिया से पहले केंद्र और राज्य सरकार में यह सहमति बनी थी कि अगर केएसआईडीसी की बोली जितने वाली कंपनी के बोली के 10 प्रतिशत के दायरे में रहती है तो हवाईअड्डा उसे दिया जाएगा। लेकिन अडानी समूह की बोली में 19.64 प्रतिशत का अंतर था इसलिए लीज उन्हें मिला।' उन्होंने कहा है कि विशेष प्रावधान और पारदर्शी तरीके से नीलामी होने के बावजूद केरल सरकार बोली प्रक्रिया के लिए आहर्ता प्राप्त नहीं कर सकी।