नई दिल्ली। गहराते जा रहे कोरोना वायरस संकट के बीच रूस में गामालेया इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित कोरोना वैक्सीन ने क्लिनिकल ट्रायल और रजिस्ट्रेशन के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि इस वैक्सीन का प्रयोग करते हुए बड़े स्तर पर टीकाकरण प्रकिया अक्टूबर में शुरू की जाएगी। जिन समूहों का सबसे पहले टीकाकरण किया जाएगा, उसमें डॉक्टर और शिक्षक शामिल होंगे। हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि इस वैक्सीन ने तीनों चरणों के ट्रायल पूरे कर लिए हैं या नहीं।

रूस की एक न्यूज एजेंसी टास ने जुलाई के दूसरे सप्ताह में बताया था कि इस वैक्सीन ने 13 जुलाई को ट्रायल के दूसरे चरण में प्रवेश कर लिया है। दूसरे चरण में ये देखा जाता है कि वैक्सीन इंसानों में प्रतिरक्षा उत्पन्न कर रही है नहीं। इस चरण को पूरा होने में महीनों लगते हैं।

कोविड 19 महामारी की गंभीरता की वजह से पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने की प्रकिया में तेजी लाई जाती है, नहीं तो एक ढ़ंग की वैक्सीन बनने में 8 से 10 साल का समय लगता है। हालांकि, प्रक्रिया में तेजी के बाद भी रूस की इस वैक्सीन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि तीसरे चरण के ट्रायल के बिना ही इसका रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। तीसरे चरण में यह देखा जाता है कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं और यह असली जीवन में लोगों को बीमारी के खिलाफ सुरक्षा दे रही है या नहीं। इस चरण में हजारों वॉलंटियर्स के ऊपर ट्रायल होता है, जिसमें काफी वक्त लगता है।