इंदौर। इंदौर की बंद पड़ी प्रसिद्ध हुकुमचंद मिल के मजदूरों के लिए बड़ी और अच्छी खबर आई है। हुकुमचंद मिल के मजदूरों को उनका बकाया पैसा मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मजदूरों को भुगतान के लिए 464 करोड़ रुपए की राशि मंजूर कर दी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार को मजदूरों के पक्ष में निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 

बता दें कि बीते 1 दिसंबर को इंदौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने तीन दिन के अंदर मजदूरों के खाते में बकाया राशि जमा कराने का आदेश दिया था। 32 साल से हुकुमचंद मिल के मजदूरों का यह संघर्ष चल रहा था। कई तो ऐसे हैं जो फैसला आने से पहले ही मर गए।

हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होने के बाद से अपने हक के लिए भटक रहे थे। करीब 16 वर्ष पहले हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया था।
इसका भुगतान मिल की जमीन बेचकर किया जाना है, लेकिन वर्षों तक जमीन के स्वामित्व को लेकर नगर निगम और शासन के बीच विवाद चलता रहा। 

बाद में जमीन बेचने के प्रयास हुए लेकिन बार-बार निविदाएं आमंत्रित करने के बावजूद जमीन बेचने में सफलता नहीं मिली। इसके बाद मिल के हजारों मजदूरों को बकाया भुगतान मिलने की संभावनाएं क्षीर्ण हो गई थीं लेकिन नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल के बीच हुए समझौते के बाद बकाया मिलने की उम्मीदें एक बार फिर जागी। हालांकि, इस महीने हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नई सरकार ने रुपए मंजूर कर दिए हैं।