सरगुजा| मैनपाट में हाथियों ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है। बीते दिनों हाथियों ने इलाके के कई कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचाया है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है। भारी वर्षा के बीच घर टूटने से परेशान ग्रामीणों को तिरपाल के नीचे रहना पड़ रह है तो कुछ को स्कूल में रेस्क्यू किया गया है।

इलाके के फॉरेस्ट रेंजर पीपी चौबे का कहना है कि महिलाओं और बच्चों को इलाके स्थानीय हाई स्कूल में ठहराया गया है। वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को हाथियों से बचाने के लिए चौकीदारों का एक समूह बनाकर अलर्ट पर रखा गया है। इनके साथ ग्रामीण भी पहरेदारी कर रहे हैं। आदिवासी परिवार यहां रतजगा करने को मजबूर हैं।

 

ग्रामीण छोटे-छोटे दल बनाकर मशाल लेकर रात में घूमते हैं, औऱ हाथियों की आहट होने पर लोगों को सतर्क कर देते हैं। वो तरह तरह की आवाजें कर हाथियों के दलों को गांव में आने से रोकते भी हैं। भरी बरसात में ग्रामीण हाथियों से अपने घरों की निगरानी कर रहे हैं। रतजगा और भीगने की वजह से कई लगातार ग्रामीण बीमार भी हो रहे हैं।

 

बीते दिनों हाथियों के दल ने मैनपाट के उरंगा पंचायत के पतरापारा और रायगढ़ के बोरों रेंज में 3 ग्रामीणों को कुचल दिया था जिससे उनकी मौत हो चुकी है। जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। वहीं इस बारे में सरगुज़ा कलेक्टर का दावा है कि मैनपाट में हाथियों का उत्पात रोकने के लिए वन विभाग की टीम और राजस्व अमला जुटा हुआ है। मैनपाट के इन इलाकों में ग्रामीणों ने लोगों की ड्यूटी लगा रखी है, जिसके हिसाब से लोग अपनी-अपनी बारी आने पर चौकीदारी करते हैं, रात में जागते रहते हैं, जिससे हाथियों की आहट आने पर अलर्ट रह सकें। बारबार भीगने और रातों को जगने की वजह से कई ग्रामीणों की तबीयत भी खराब हो गई है।

 

दरअसल छत्तीसगढ़ में भारी बारिश का दौर जारी है, मैनपाट में भी तेज वर्षा हो रही है। जंगली इलाका होने की वजह से घना कोहरा छाया रहता है, यहां हाथी बेख़ौफ़ होकर घूम रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले करीब सात महीनों में उत्पाती हाथियों ने 85 से ज्यादा ग्रामीणों के घर तोड़ दिए हैं। सात महीने से वन विभाग और प्रशासन हाथियों को काबू नहीं कर पाया है। मैनपाट में हाथियों का उत्पात बरसात में ज्यादा हो रहा है। कच्चे मकान टूटने से ग्रामीणों को दोहरी मार झेलना पड़ रहा है।