नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में बजट पेश किया। इस बार बजट में 12 लाख रुपए तक के आय को इनकम टैक्स में छूट देने का निर्णय लिया गया है। बजट को लेकर देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। चिदंबरम ने कहा कि बजट से सरकार टैक्स पेयर्स और बिहार के वोटर्स को रिझाने की कोशिश में है। शेष भारत के लिए सिर्फ सांत्वना है।

पी चिदंबरम ने AICC मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बजट 2025-26 से यह स्पष्ट है कि भाजपा करदाता मध्य वर्ग और बिहार के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है। इन घोषणाओं का स्वागत 3.2 करोड़ करदाता मध्य वर्ग और 7.65 करोड़ बिहार के मतदाता करेंगे। बाकी भारत के लिए, माननीय वित्त मंत्री के पास केवल सांत्वना भरे शब्द थे, जिन्हें भाजपा सदस्यों, विशेष रूप से माननीय प्रधानमंत्री की अगुवाई में तालियों से सराहा गया।  
 
चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2024-25 के वित्तीय प्रदर्शन पर से लेकर मौजूदा आर्थिक हालातों पर भी बात कि है। 

2024-25 के वित्तीय प्रदर्शन  
 - संशोधित राजस्व प्राप्तियां 41,240 करोड़ रुपये कम हो गई हैं। संशोधित शुद्ध कर प्राप्तियां 26,439 करोड़ रुपये कम हुई हैं।  
- व्यय के मामले में, कुल खर्च में 1,04,025 करोड़ रुपये की कटौती की गई है, जबकि पूंजीगत व्यय में 92,682 करोड़ रुपये की कमी आई है। इसमें जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, वे निम्नलिखित हैं:  
 
 स्वास्थ्य: ₹1,255 करोड़  
 शिक्षा:₹11,584 करोड़  
 सामाजिक कल्याण:₹10,019 करोड़  
 कृषि:₹10,992 करोड़  
 ग्रामीण विकास: ₹75,133 करोड़  
 शहरी विकास:₹18,907 करोड़  
 पूर्वोत्तर विकास:₹1,894 करोड़  
 
एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए क्रूर कटौती
 
 - पीएम अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना
  - बजट अनुमान (BE) 2024-25: ₹2,140 करोड़  
  - संशोधित अनुमान (RE) 2024-25: ₹800 करोड़  
 
 - पीएम यंग अचीवर्स स्कॉलरशिप (ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी)
   - BE 2024-25: ₹1,836 करोड़  
   - RE 2024-25: ₹1,381 करोड़  
 
 - एससी के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति
   - BE 2024-25: ₹6,360 करोड़  
   - RE 2024-25: ₹5,500 करोड़  
 - एसटी के विकास के लिए कार्यक्रम
   - BE 2024-25: ₹4,300 करोड़  
   - RE 2024-25: ₹3,630 करोड़  
 
अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान  
 
चिदंबरम ने कहा कि वित्तीय घाटे को 4.9% (BE) से घटाकर 4.8% (RE) करना कोई उपलब्धि नहीं है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था पर भारी कीमत चुकाकर किया गया है। हमने पहले ही कहा था कि अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, अब जो लोग इसे नहीं मानते थे, वे अब इसे महसूस करेंगे। सरकार की योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने की क्षमता घट रही है, यह अब स्पष्ट हो चुका है।  
2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय में 1,02,661 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है, लेकिन 2024-25 के अनुभव को देखते हुए, मुझे सरकार की इसे पूरा करने की क्षमता पर संदेह है।  
 
योजनाओं को किया गया नजरअंदाज
 
बिना ज्यादा आंकड़े गिनाए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप 2024-25 के बजट अनुमान, संशोधित अनुमान और 2025-26 के बजट प्रस्तावों को देखें। इससे साफ है कि सरकार ने अपनी ही योजनाओं पर विश्वास खो दिया है। कुछ उदाहरण:  
 
- पोषण योजना  
- जल जीवन मिशन  
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP)  
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)  
- फसल बीमा योजना  
- यूरिया सब्सिडी  
- पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना  
 
रेलवे के साथ अन्याय
 
रेलवे, जो देश की विशाल आबादी की सेवा करता है, के लिए आवंटन बढ़ाया नहीं गया बल्कि वास्तविकता में घटा है:  
 
- BE 2024-25: ₹2,06,961 करोड़  
- RE 2024-25: ₹2,12,786 करोड़  
- BE 2025-26: ₹2,13,552 करोड़  
 
2025-26 में महज ₹766 करोड़ की वृद्धि से महंगाई की भरपाई भी नहीं हो पाएगी।  
 
रोजगार योजनाओं में धोखा
 
PLI योजना, नए रोजगार सृजन कार्यक्रम और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं पर बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन सच्चाई कुछ और है। युवाओं के साथ बड़ा धोखा किया गया है। न तो इच्छाशक्ति, न ही नए विचार।
 
- BE 2024-25: ₹26,018 करोड़  
- वास्तविक व्यय: ₹15,286 करोड़  
 
चिदंबरम ने आगे कहा कि यह साफ है कि वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री ने मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की सलाह पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सरकार को रास्ते से हटने की सलाह दी थी, लेकिन बजट में फिर से कई नई योजनाएं जोड़ दी गई हैं, जिनमें से कई सरकार के बस की बात नहीं हैं।  

- मैंने कम से कम 15 नई योजनाएं और 4 नए फंड गिने हैं।  
- वित्त मंत्री 1991 और 2004 की तरह आर्थिक सुधार करने को तैयार नहीं हैं।  
- सरकार एमएसएमई, स्टार्टअप्स और उद्यमियों को बढ़ावा देने के बजाय नौकरशाही के नियंत्रण को और मजबूत कर रही है।  
 
अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार
चिदंबरम ने कहा कि यह सरकार पुराने ढर्रे पर ही चलती रहेगी, जिससे 2025-26 में 6% या 6.5% की वृद्धि दर ही देखने को मिलेगी। यह 8% विकास दर से बहुत दूर है, जिसे भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्राप्त करना चाहिए। हमारे दृष्टिकोण से, यह सरकार नए विचारों से खाली है और अपने दायरे से बाहर जाने की इच्छाशक्ति नहीं रखती।