शहरों से वापस अपने गांव जा रहे प्रवासी मजदूरों के लिए आवंटित किए गए 8 लाख मीट्रिक मुफ्त अनाज में से उन्हें केवल 13 प्रतिशत अनाज ही बांटा गया है। मई और जून महीने के लिए जारी सरकारी डेटा में यह बात सामने आई है। लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों की खराब हालत पर केंद्र सरकार की चौतरफा आलोचना के बाद सरकार ने वापस जा रहे आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज देने की घोषणा की थी। लेकिन उपभोक्ता मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनकि वितरण के डेटा में सामने आया है कि केवल 2.13 करोड़ मजदूरों को ही राशन मिला। इनमें मई में 1.21 करोड़ मजदूर और जून में 92.44 लाख मजदूर शामिल हैं।

डेटा के अनुसार सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने 6.38 लाख मीट्रिक टन अनाज ले लिया लेकिन उसमें से 30 जून तक केवल 1.07 लाख मीट्रिक टन का ही आवंटन किया। कई राज्यों ने अपने हिस्से का पूरा अनाज लेने के बावजूद प्रवासी मजदूरों को अनाज नहीं बांटा। ऐसे करीब 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं।

उत्तर प्रदेश को 1,42,033 मीट्रिक टन अनाज आवंटित किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसमें से 1,40,637 मीट्रिक टन अनाज ले लिया। लेकिन इसका केवल 2.03 प्रतिशत ही अर्थात 3,324 मीट्रिक टन अनाज ही मजदूरों को दिया गया। इसी तरह बिहार ने भी अपने कोटे का पूरा अनाज लेकर प्रवासी मजदूरों को केवल 2.13 प्रतिशत हिस्सा ही दिया।

कई राज्य अपने हिस्से का अनाज लेने में काफी पीछे रहे। इनमें ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। ओडिशा ने अपने 32,360 मीट्रिक टन अनाज का 388 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश ने 54,642 मीट्रिक टन में 1,963 मीट्रिक टन और छत्तीसगढ़ ने 20,777 मीट्रिक टन में से 944 मीट्रिक टन अनाज ही केंद्लिर से उठाया है

जिन राज्यों ने अनाज बांटने में अच्छा काम किया उनमें राजस्थान पहले स्थान पर है। राजस्थान ने मई और जून में लगभग 42.47 लाख प्रवासी मजदूरों को अपने हिस्से का 95 प्रतिशत राशन वितरित किया। हरियाणा ने अपने हिस्से का लगभग पचास प्रतिशत अनाज प्रवासी मजदूरों की दिया। मंत्रालयल के डेटा के अनुसार हिमाचल प्रदेश, असम और कर्नाटक ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। गोवा और तेलंगाना समेत सात राज्यों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर बताया कि वे अनाज वितरित नहीं कर सकते क्योंकि मजदूर उनके राज्यों से चले गए हैं। इन राज्यों में झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और सिक्किम भी शामिल हैं।