आमतौर पर लोगों की मीठा काफी पसंद होता है, लेकिन मीठा सेहत के लिए हानिकारक भी है इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता। तभी तो मीठा कम खाने की सलाह दी जाती है। एक कारण यह है कि उसमें कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, वहीं मीठा खाने से शुगर लेवल बढ़ जाता है, जो की डायबटीज के रोगियों के लिए हानिकारक होता है।

कहा जाता है कि रिफाइन शुगर को साफ करने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड का यूज होता है, जिसकी वजह से वह चमकदार नजर आती है। इस प्रोसेस में शक्कर हानिकारक हो जाती है। वहीं अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं और शक्कर भी नहीं खाना चाहते तो मिश्री एक बेहतरीन आप्शन हो सकता है। जिसे अक्सर आप भगवान के भोग में या फिर माउथ फ्रेशनर के रूप में सौंफ के साथ खाते हैं।

 मिश्री अनरिफाइंड शक्कर होती है। जिसे से गन्ने या खजूर के रस से बनाया जाता है। भारत से निकलकर मिश्री अब पूरी दुनिया में उपयोग की जाने लगी है। भले ही इसमें शक्कर की अपेक्षा कम मिठास होती है, लेकिन इसे पसंद करने वालों की दुनिया में कोई कमी नहीं है। मिश्री के बड़े टुकड़े को लोग रॉक शुगर के नाम से भी जानते हैं। 

आपको जानकर हैरानी होगी की मिश्री स्वाद के साथ-साथ कई औषधीय गुण भी अपने भीतर छिपाए हुए है। इसके उपयोग से हाजमा अच्छा रहता है, कब्ज एसिडिटी और अपच की परेशानी दूर होती है। वहीं यह एक अच्छा एनर्जी बूस्टर है, यह हमारे दिमाग की सेहत के लिए लाभदायक है। यह गर्भवती महिलाओं में होने वाले हार्मोनल चेंजेस को बैलेंस रखता है, स्ट्रेस और डिप्रेशन को कम करने में मददगार है। मिश्री को गर्म दूध के साथ रात में लिया जा सकता है, खाना खाने के बाद इसे चबाना फायदेमंद है।

सौंफ और मिश्री एक साथ खाने से पाचन ठीक रहता है। खाना खाने के बाद सौंफ मिश्री खाई जाती है तो पाचन आसानी से हो जाता है। गैस और पेट का भारीपन दूर होता है। सौंफ और मिश्री हमारे शरीर में हैप्पी हार्मोंस को बढ़ाते हैं। मन खुश रहता है।

 खांसी सर्दी और गले की खराश दूर करने में मिश्री रामबाण इलाज के तौर पर काम करती है। आधा चम्मच मिश्री और 8-10 काली मिर्च को कूट लें। और गर्म तवे पर डाल दें जैसे ही काली मिर्च पर मिश्री चिपकने लगे, गैस बंद कर दें, और इस मिक्स को एयरटाइट डिब्बे में रखें, फिर इसका सेवन करें,इसके यूज से गले की खराश दूर होगी। वहीं मिश्री और काली मिर्च का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेने से खांसी कम होती है, बलगम भी आसानी से निकल जाता है।

मिश्री इंस्टेंट एनर्जी देती है,  जो आपके मूड को फ्रेश करता है। डिलीवरी और मेनोपाज के बाद कई बार महिलाओं की मूड स्विंग होता है, इस दौरान मिश्री आपके हार्मोनल बैलेंस करती है और मूड अच्छा होता है।   मिश्री के नियमित उपयोग से याददाश्त में सुधार होता है। मिश्री के साथ एक गिलास गुनगुना दूध पीने से याददाश्त तेज होती है। यह हीमोग्लोबिन बढ़ाता है, इसके उपयोग से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है।

गर्मियों के मौसम में होने वाली आम समस्या नकसीर फूटने में भी मिश्री खाने से फायदा होता है। विशेषज्ञों की मानें तो मिश्री शुगर का विकल्प हो सकता है, लेकिन इसकी तासीर ठंडी होती, इसे भी संयमित मात्रा में लेना चाहिए। वहीं ऑर्गेनिक मिश्री चुनें, जो भूरी या हल्के पीले रंग की हो वह ज्यादा फायदेमंद होती है। रोजाना 5 से 10 ग्राम मिश्री का उपयोग किया जा सकता है।