गुना| ज़िले में पटवारियों के हाल ही में किए गए तबादलों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 10 जून को जारी की गई तबादला सूची में कुल 64 पटवारियों का स्थानांतरण किया गया, जिसमें कई गड़बड़ियों की बात सामने आई है। आरोप है कि कुछ ऐसे पटवारियों का भी तबादला कर दिया गया है, जिन्होंने वर्तमान तहसील में दो साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं किया है। जुलाई 2023 में स्थानांतरित हुए कुछ कर्मचारी अभी तक दो वर्ष पूर्ण नहीं कर पाए हैं, जबकि शासन के नियमानुसार तीन साल से पहले तबादला नहीं किया जाना चाहिए।
पटवारियों का कहना है कि शिकायत की स्थिति में केवल हल्का बदला जाना चाहिए था, पूरी तहसील नहीं। इसके अलावा कई ऐसे नामों को तबादले की सूची में शामिल किया गया है जो वरीयता सूची में शामिल ही नहीं थे। एक निलंबित पटवारी का नाम भी तबादले की सूची में होने से विवाद और गहरा गया है। आरोप है कि पहले तबादला आदेश जारी किया गया और बाद में उसे बैकडेट में बहाल कर दिया गया।
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साथ ही एक मामले में एक पटवारी को नियमों के विपरीत उसकी गृह तहसील में ही पदस्थ कर दिया गया। वहीं, दूरस्थ क्षेत्रों जैसे मधुसूदनगढ़, चाचौड़ा और कुंभराज में 10 से 15 वर्षों से कार्यरत पटवारियों के तबादले गुना तहसील में नहीं किए गए, जबकि उन्होंने आवेदन भी दिए थे। इस पर कर्मचारियों ने स्थानांतरण प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए वरीयता सूची के आधार पर पुनः विचार की मांग की है।
इस पूरे मामले पर कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि स्थानांतरण के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे किसी कर्मचारी का कार्य प्रदर्शन, कार्यक्षमता, स्वास्थ्य कारण या प्रशासनिक आवश्यकता। उन्होंने कहा कि सभी स्थानांतरण प्रशासनिक आधार पर किए गए हैं और नियमों के तहत ही अमल में लाए गए हैं।