जिस तेज रफ्तार के साथ दुनिया तरक्की कर रही है, उससे कहीं ज्यादा तेज गति से कैंसर के मामले फैलने लगे हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक करीब पौन दो अरब मामले कैंसर के हैं। जिनमें से 96 लाख लोगों की मौत हर साल हो रही है। कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है। यह दुनियाभर में एक गंभीर बीमारी बन चुका है। कैंसर के कई प्रकार के होते हैं, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होने की वजह से उन्हीं के नामों से जाना जाता है। इसका इलाज संभव है, अगर सही समय पर इसकी पहचान कर ली जाए और जीवनशैली में बदलाव और अन्य तरीकों से कैंसर से होने वाली लगभग 40 प्रतिशत मौतों को रोका जा सकता है। 

ऑस्ट्रेलिया के क्यूआईएमआर बर्गोफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने कृत्रिम रूप से खतरे की आशंका वाले आठ समूहों की जांच की है। अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संगठनों ने तंबाकू धूम्रपान, खानपान संबंधी पहलुओं, शराब के इस्तेमाल, मोटापा या अधिक वजन, शारीरिक निष्क्रियता, परा-बैंगनी किरणों के संपर्क में आना, संक्रमण और हॉर्मोन से जुड़े पहलुओं को कैंसर का कृत्रिम कारक बताया था। अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे आंकड़ों का विश्लेषण किया कि कृत्रिम कारणों से होने वाले कैंसर से हर साल कितने लोगों की मौत हो जाती है और सैद्धांतिक रूप से उन्हें कैसे रोका जा सकता है। 

अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे आंकड़ों का विश्लेषण किया कि कृत्रिम कारणों से होने वाले कैंसर से हर साल कितने लोगों की मौत होती है और सैद्धांतिक रूप से उन्हें कैसे रोका जा सकता है। इंटरनैशनल जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित अध्ययन में यह बात निकलकर सामने आई कि इस पहलू के कारण 41 प्रति ऑस्ट्रेलियाई पुरुषों और 34 प्रतिशत महिलाओं की मौत हो जाती है।