मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इस सीजन का सबसे ज्यादा तापमान दर्ज किया गया। गुरुवार को यहां का तापमान 44.4 रहा। वहीं, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गुना रहा। जहां रिकॉर्ड 46.6 डिग्री पारा दर्ज किया गया। जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश के आठ शहरों का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उसके पार रहा।
इसके अलावा मौसम विभाग ने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मुजफ्फराबाद, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड में हीटवेव के येलो अलर्ट भी जारी किया है. वहीं, भीषण गर्मी के कारण मॉइस्चर लेवल भी गड़बड़ हो गया. इसके चलते वेट-बल्ब टेंपरेचर की स्थिति बन रही है. बता दें कि वेट-बल्ब टेंपरेचर लोगों के लिए काफी खतरनाक होता है।
क्या होता है वेट-बल्ब टेंपरेचर?
35 डिग्री सेल्सियस को इंसान के लिए सर्वाधिक वेट बल्ब टेंपरेचर माना गया है। अगर टेंपरेचर इससे ऊपर जाता है तो शरीर के पसीने का भाप बनने में या वाष्पीकृत होने में दिक्कत होती है। पसीना भाप न बन पाने की वजह से शरीर का टेंपरेचर बढ़ने लगता है। इससे हाइपरथर्मिया की नौबत आ जाती है। ये वो स्थिति है, जिसमें शरीर जितनी गर्मी छोड़ सकता है उससे ज्यादा अवशोषित या उत्पन्न करता हैं। शरीर गर्मी पैदा करने की तुलना में तेजी से खो देता है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी है। जिसमें शरीर का टेंपरेचर खतरनाक रूप से कम हो जाता है। वेट-बल्ब टेपंरेचर गर्मी एवं ह्यूडिटी की वह सीमा है, जिसके आगे मनुष्य हाई टेंपरेचर को सहन नहीं कर सकता है। क्लाइमेट साइंटिस्ट श्नाइडर ने कहा, “यह वास्तव में जीवित रहने के लिए एक कठिन परिस्थिति है। आप वहां बैठे-बैठे ही मर सकते हैं।”
जब तापमान 50 डिग्री से ज्यादा बढ़ जाता है। तब टेंपरेचर मापने के लिए वेब बल्ब थर्मामीटर का काम लिया जाता है। इस स्थिति में सामान्य थर्मामीटर काम नहीं करता है।
कहां से आया वेट-बल्ब टेंपरेचर?
जैसे बीते काफी दिनों से रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है. ऐसे में पारा काफी ऊपर चला जाता है। जब गर्मी इतनी होती है कि इसे मापने के लिए सामान्य थर्मामीटर काम नहीं करता। यही कारण है कि खास वेट बल्ब थर्मामीटर इस्तेमाल होता है। इसमें पारा तो होता है, लेकिन ये गीले कपड़े से कवर किया जाता है। आमतौर पर मलमल का कपड़ा लिया जाता है और उसे ठंडे पानी से भरे बर्तन में डुबोकर रखते हैं। इससे जो तापमान लिया जाता है, वो हवा में नमी का संकेत देता है। इस आधार पर तय करने में आसानी होती है कि अपना रुटीन क्या रखना है या फिर किनके लिए ये खतरनाक हो सकता है। क्लाइमेट की स्टडी से पता चला है कि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ेगा, गर्म हवा अधिक नमी धारण करने में सक्षम होगी। इसके परिणामस्वरूप, ह्यूडिटी बढ़ेगी और वेट-बल्ब टेंपरेचर में बढोतरी होगी।
गर्मी से कैसे बचें?
गर्मी से बचने के लिए भरपूर पानी पिएं. तेज धूप में निकलने से पहले 1 गिलास पानी पीकर निकले। इसके अलावा खुद को कवर करके रखें। गर्मी से बचने के लिए घर में इलेक्ट्रोलाइट्स बनाकर रखें और उसका सेवन करें. भीषण गर्मी में बच्चों और बुजुर्गों का खास ख्याल रखें और उन्हें घर से बाहर ने निकलने दें।