कोरोना संकट से लड़ रही दुनिया अब वायरस के प्रसार का मुकाबला करने के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरणों के लिए प्रतिस्पर्धा करती दिख रही है। कोरोना संक्रमण का मुकाबला करने के लिए जरूरी मास्क, जांच किट, पीपी, वेंटिलेटर को लेकर अमेरिका और यूरोप के देशों में संघर्ष की स्थिति निर्मित होती जा रही है। इसका परिणाम ये हो रहा है कि गरीब देशों के जरूरतमंद लोगों तक संक्रमण को रोकने वाले महत्वपूर्ण सामान नहीं पहुंच पा रहे हैं और गरीब देश सविधाओं के अभाव में अपने लोगों को खोते जा रहे हैं। चिकित्सा सम्बन्धी इन उपकरणों के निर्माताओं के कहना है कि वे अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों में कोरोना की जांच के लिए जरूरी किट के आदेश पूरे नहीं कर सकते क्योंकि वे इन चिकित्सकीय सामानों का जितना भी उत्पादन कर रहे हैं, उसका अधिकांश हिस्सा अमेरिका या यूरोप में जा रहा है।

यूनिसेफ का कहना है कि वह 100 देशों की मदद करने के लिए 240 मिलियन मास्क खरीदने की कोशिश कर रहा हैं लेकिन अभी तक केवल 28मिलियन मास्क का प्रबंध ही कर पाया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग करने वाली संस्था फाउंडेशन फ़ॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ कैथरीन बोहम का कहना है कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जरूरी उपकरणों को पाने के लिए विश्व के देशों में पर्दे के पीछे एक युद्ध चल रहा है, जिसका बुरा परिणाम गरीब देशों की जनता पर पड़ सकता है। वायरस की जांच के लिए सबसे जरूरी जांच किट की आपूर्ति कुछ विकसित अमीर देशों तक सीमित है। हालांकि विकासशील देशों में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की तादाद अभी कम है पर इन देशों में इस बीमारी ने महामारी का रूप लिया तो गरीब देशों के लिए ये विनाशकारी साबित होगा क्योंकि इन देशों का हेल्थ सिस्टम पहले से ही कमजोर है।