कोरोना वायरस संकट के बीच सिंगापुर में चुनाव हो रहा है। मतदाता मास्क लगाए और ग्लव्स पहने लाइन में लगे हैं। पोलिंग बूथ में भी काफी सारे इंतजाम किए गए हैं। सोशल डिस्टेंसिग का पूरा पालन किया जा रहा है। दक्षिण कोरिया के बाद सिंगापुर ने दिखाया है कि कोरोना संकट के बीच चुनाव कैसे कराए जाएं। सिंगापुर में चुनाव ऐसे समय पर हो रहे हैं जब कोरोना वायरस संकट ने उसकी अर्थव्यवस्था को सबसे बड़े संकट में डाल दिया है। इसलिए चुनाव के प्रमुख मुद्दे अर्थव्यवस्था को पटली पर लाना और रोजगार सृजन करना है। इस चुनाव में रिकॉर्ड 11 पार्टियां हिस्सा ले रही हैं।

एक पोलिंग बूथ के बाहर लाइन में लगे एक मतदाता ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “हालातों को देखते हुए मैं ये सोच रहा हूं कि क्या वोट डालने के एवज में अपनी जान को खतरे में डालना सही है।” हालांकि, सिंगापुर में वोट डालना अनिवार्य है।

मतदाताओं के इस डर को दूर करने के लिए सिंगापुर के प्रशासन ने बहुत सारे इंतजाम किए हैं। इनमें से सबसे खास है उम्रदराज लोगों के मतदान के लिए सुबह का वक्त तय कर देना ताकि वे भीड़ से बचकर आसानी से अपना मत दे सकें।

पोलिंग बूथ के अंदर मतदाताओं को खुद ही अपना आइडेंटिटी कार्ड स्कैन करना पड़ रहा है। इसके बाद उन्हें अपने हाथ सैनेटाइज करने पड़ते हैं और फिर उन्हें दस्ताने मिलते हैं, जिन्हें पहनने के बाद उन्हे बैलेट पेपर दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग रहा है लेकिन सुरक्षा की ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है।

सिंगापुर ने पिछले महीने ही लॉकडाउन को खाला था। इसके बाद कोरोना वायरस के मामले बहुत तेजी से बढ़े थे। इसलिए इस बार किसी भी पार्टी को चुनावी रैलियां नहीं करने दी गईं। हालांकि, सिंगापुर में कोरोना वायरस मृत्यु दर बहुत कम है। चुनाव परिणाम 11 जुलाई को सुबह आ जाएगा।

दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के चुनाव के बाद और भी कई देशों में चुनाव होने हैं। ऐसे में ये देश इन दोनों देशों में अपनाई गई प्रक्रिया बाकी देशों की मदद कर सकती है। नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होना है और डॉनल्ड ट्रंप एवं जो बाइडेन दोनों ही मेल से वोटिंग को लेकर धांधली होने की आशंका जता चुके हैं, ऐसे में सिंगापुर का अनुभव विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र को सीख दे सकता है।