भोपाल। एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में डेढ़ करोड़ से ज़्यादा युवा बेरोजगार हैं। सिर्फ सरकारी पोर्टल पर 35 लाख बेरोजगार युवा रजिस्टर्ड हैं, जो लंबे अरसे से रोजगार की राह देख रहे हैं। इनमें से 90 फीसदी युवा ऐसे हैं जो कि मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं। लेकिन हकीकत यह है कि पिछले तीन वर्षों से प्रदेश में कोई बड़ी भर्ती परीक्षा नहीं हुई है। 

सरकारी विभागों में 70 हज़ार से ज़्यादा खाली हैं पद 

प्रदेश में बेरोजगारी का आलम यह है कि सरकारी विभागों में इस समय 70 हज़ार से ज़्यादा पद खाली हैं। सबसे ज़्यादा रिक्त पद स्कूल शिक्षा विभाग में है। शिक्षा विभाग में 30 हज़ार पद खाली पड़े हैं। राज्य के कई स्कूलों में तो प्रिंसिपल तक नहीं हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में वर्ग एक और दो के लिए तीन साल पहले परीक्षा तो हुई लेकिन नियुक्ति के नाम पर उन्हें इंतज़ार ही मिला है। चयनित अभ्यर्थी लगातार आंदोलन भी कर चुके हैं लेकिन अब तक सरकार ने उनकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं की है। 

ऐसी ही स्थिति अन्य सरकारी विभागों की भी है। पुलिस विभाग में आरक्षक के 9 हज़ार पद खाली हैं। स्वास्थ्य विभाग में एएनएम के 9500 पदों पर भर्ती के लिए विचार ही किया जा रहा है। राजस्व विभाग में पटवारी और अन्य के लिए 9530 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

ठप हो गया रोजगार मेला 

रोजगार के अवसरों के साथ साथ प्रदेश में लगने वाला रोज़गार मेला भी ठप हो गया। प्रदेश सरकार ने 2016 में रोजगार बोर्ड का गठन किया। लेकिन यह दो साल तक ही चल पाया। बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष हेमन्त देशमुख ने ग्लोबल स्किल्ड समिट और रोजगार मेले लगाए। लेकिन जल्द ही यह मेले भी नाकामयाब साबित हो गए। 

सामान्य प्रशासन विभाग राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने मीडिया को बताया कि प्रदेश में एक बार फिर रोजगार मेले लगाए जाएंगे। सरकारी विभाग में नियुक्तियों को लेकर परमार ने कहा कि कुछ परीक्षाएं तकनीकी कारणों से जबकि कुछ उम्मीदवारों की मांग को देखते हुए अटकी हुई हैं। परमार ने कहा है कि जल्द ही सरकारी विभागों में भर्ती प्रक्रिया का श्री गणेश हो जाएगा।