भोपाल। कोरोना इन्फेक्शन कम करने के लिए प्रदेश के ज़िला अस्तपालों में छिड़का गया केमिकल मिलावटी निकला है। यह खुलासा ड्रग्स विभाग की जांच में हुआ है। सेनएजे फार्मा नामक कंपनी के केमिकल का छिड़काव प्रदेश के 11 ज़िला अस्पतालों में किया गया था। जांच में पता चला है कि केमिकल के नाम पर खरीदे गए लिक्विड में बेहिसाब पानी भरा था। हैरानी की बात यह है कि लैब टेस्ट में भारी मिलावट का पता चलने के बाद भी उसी मिलावटी केमिकल की खरीद की गई।

जुलाई 2020 में भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, विदिशा, कटनी, शाजापुर, गुना, धार और मंडला सहित प्रदेश के कुल ग्यारह ज़िला अस्पतालों में केमिकल का छिड़काव किया गया था। सोडियम हाइपो क्लोराइट युक्त इस केमिकल को अस्पतालों में कोरोना के संक्रमण को कम करने के इरादे से किया गया था। लेकिन ड्रग्स विभाग की जांच में जो खुलासा हुआ है, बो बेहद चौंकाने वाला है।

जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि केमिकल में महज़ दो प्रतिशत ही सोडियम हाइपो क्लोराइट की मात्रा पाई गई है। जबकि गुणवत्ता वाले केमिकल में सोडियम हाइपो क्लोराइट की मात्रा 4 से 6 फीसदी तक होनी चाहिए। केमिकल में 98 फीसदी पानी की मात्रा पाई गई है। इतना ही नहीं जिस सेनऐजे फार्मा नामक इस कंपनी से यह केमिकल 16,800 रुपए की दर पर खरीदा गया था, निजी लैब में जांच कराने पर वो केमिकल गुणवत्ता के मानकों पर खरा नहीं उतरा था। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के विभिन्न ज़िला अस्पतालों में सप्लाई किया गया। 

इस दौरान उज्जैन के ज़िला अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में कोरोना का असर कम नहीं हुआ। इसका नतीजा यह निकला कि ज़िला अस्पताल के डॉक्टर सहित सिविल सर्जन कोरोना से संक्रमित हो गए। ज़िला अस्पताल के कंपाउंडर वाहिद कुरैशी की तो मौत भी हो गई। 

केमिकल की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ड्रग विभाग ने कंपनी और सीएमएचओ को नोटिस जारी कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नोटिस का जवाब आने के बाद ड्रग विभाग कंपनी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। जवाब आने के बाद कंपनी को पूरे प्रदेश में ब्लैक लिस्टेड करने की योजना बनाई जा रही है।