भोपाल। रीवा संभाग कोरोना संक्रमण से अछूता था मगर प्रशासन ने लापरवाहीपूर्वक इंदौर के कोरोना संक्रमित बंदियों को यहां भेज दिया। लॉकडाउन के नियमों को तोड़ की गई यह प्रशासनिक लापरवाही जनता के साथ खिलवाड़ थी। जनता ने सोशल मीडिया के माध्‍यम से इसका तीखा विरोध किया। इस प्रशासनिक लापरवाही पर कोर्ट ने राहत दी। इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि इंदौर से कोरोना कैदियों को भोपाल के विशेष अस्‍‍‍‍‍‍पताल में भेजा जाए। भविष्‍य में इस तरह के स्‍थानांत‍रण कोर्ट की अनुमति से हो।



इन्दौर में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार करने और पथराव करने के आरोपियों को रासुका के तहत गिरफ्तार कर इन्दौर से जबलपुर और सतना की जेलों में भेजा गया था। इनमें से तीन बंदियों में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद जबलपुर और सतना में दहशत फैल गई थी। दोनों बंदियों को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज रीवा में भर्ती कराया गया है।इन दोनों के संपर्क में आए लोगों को क्‍वारैंटाइन किया गया था।



मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लॉकडाउन के बावजूद रासुका के बंदियों को इन्दौर से सतना जिले में स्थानांतरित करने के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया करते हुए आशंका जताई थी कि इससे तो संक्रमण अन्य जिलों में भी फैलेगा। इन बंदियों को विंध्य इलाके में भेजने का क्षेत्र के लोग ने भी विरोध किया है। संक्रमित मरीजों को रीवा मेडिकल कॉलेज में भेजने का दवा दुकान मालिकों सहित रीवा के लोगों ने विरोध करते हुए दवा दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा तक कर दी।



यहां तक कि जबलपुर जिला प्रशासन ने प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया था कि फिलहाल इन्दौर या भोपाल से किसी अन्य कैदी को यहां नहीं भेजा जाए। जबलपुर के जिला कलेक्टर भरत यादव ने मीडिया से कहा कि यह अनुरोध इसलिए किया गया है क्योंकि संक्रमित कैदियों के कारण पुलिसकर्मियों में भी संक्रमण फैल सकता है और इससे जबलपुर में स्थिति बिगड़ सकती है।



राज्‍यसभा सदस्‍य विवेक तन्‍खा लगातार इस प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करते रहे हैं। उन्‍होंने 13 अप्रैल को ट्वीट कर कहा कि समस्त रीवा संभाग में इंदौर से स्थानांतरित 2 करोना पॉज़िटिव क़ैदियों का घोर विरोध हो रहा है। रीवा संभाग आज तक करोना के भूत से अछूता था। क़ैदियों को भेज कर मध्य प्रदेश सरकार ने पूरे संभाग के सुख और सुरक्षा से खिलवाड़ किया है। जनता पर मध्य प्रदेश सरकार का प्रकोप है। जन आक्रोध व्याप्त है। चन्द अफ़सरों की सरकार में ऐसे ना समझी के निर्णय होते है। अफ़सर की सोच मात्र प्रशासनिक होती है। अगर रीवा के जनप्रतिनिधि से परामर्श होती तो ऐसा निर्णय क़तई नहीं होता। आज मध्य प्रदेश में व्यवस्था का प्रश्न है। मेरी भावना रीवा संभाग की जनता के साथ है। अन्याय का प्रतिरोध ज़रूरी है।





बाद में सांसद तन्‍खा ने ही ट्वीट कर कोर्ट के निर्णय की जानकारी दी कि एमपी हाई कोर्ट इंदौर ने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि रीवा और जबलपुर को 4 क़ैदियों का इंदौर जेल से त्रुटिपूर्ण हस्तांतरण से मुक्त किया एवं पूर्ण सुरक्षा में उन्हें कोविड अस्‍पताल भोपाल भेजने का आदेश दिया।