नर्मदापुरम। समाजवाद के प्रखर योद्धा, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव आज पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पैतृक गांव आंखमऊ (नर्मदापुरम) में उनकी बेटी सुभाषिनी और बेटे शांतनु ने संयुक्त रूप से उन्हें मुखाग्नि दी। पूरे राजकीय सम्मान के साथ शरद यादव का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान पूर्व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल समेत हजारों नेता व आमजन मौजूद रहे।



शरद यादव के पार्थिव शरीर को आज दिल्ली से विशेष विमान से भोपाल लाया गया, जहां राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।  भोपाल से उनकी पार्थिव देह को सड़क मार्ग से दोपहर करीब तीन बजे नर्मदापुरम के माखननगर में स्थित उनके पैतृक गांव आंखमऊ लाया गया। भोपाल दिग्विजय सिंह भी आंखमऊ तक उनके साथ आए और अंत्येष्टि कार्यक्रम में भी मौजूद रहे। अंतिम संस्कार के दौरान दिग्विजय सिंह भावुक दिखे। 





शरद यादव की पार्थिव देह जैसे ही भोपाल पहुंची तो दिग्विजय सिंह ने उनकी पत्नी डॉ. रेखा, बेटी सुभाषिनी, बेटे शांतनु व परिवार के अन्य लोगों से मुलाकात की। सिंह उनके परिजनों को ढांढस बधाते हुए उन्हें भोपाल से आंखमऊ तक लेकर आए। बता दें कि दिग्विजय सिंह ने जब नर्मदा परिक्रमा की थी, उस वक्त शरद यादव भी उनकी परिक्रमा में शामिल हुए थे। सिंह ने कल शरद यादव को याद करते हुए कहा भी था कि उनसे हमेशा पारिवारिक संबंध रहे। 



अंतिम संस्कार से पहले मध्य प्रदेश पुलिस ने शरद यादव को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। शरद यादव को याद करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, 'वे बचपन से प्रखर और जुझारू थे। अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले शरद भाई छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय राजनीति में छा गए थे। वे जेपी के आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे। वे जेल में रहते हुए चुनाव जीते। भारत की राजनीति पर छा गए। उन्होंने 80-90 के दशक में राष्ट्रीय राजनीति की दशा बदली। मंडल कमीशन लागू कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। समाज के कमजोर और पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए उन्होंने अपने जीवन को होम दिया था।'