भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान जिन बच्चों के सर से मां-बाप का साया उठ चुका है, उनकी पढाई का खर्च उठाने का जिम्मा राज्य सरकार ने लिया है। इसके लिए अनाथ बच्चे कल से आवेदन कर सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि इन बेसहारा बच्चों को निजी अस्पतालों में दाखिला के लॉटरी खेलना होगा। यानी भाग्य भरोसे जिनकी लॉटरी लगती है, वे एडमिशन लेने के पात्र होंगे। सरकार के इस लॉटरी व्यवस्था को प्रदेश एनएसयूआई ने अनाथ बच्चों के करियर के साथ भद्दा मजाक बताया है।



भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की मध्यप्रदेश इकाई के प्रवक्ता सुहृद तिवारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संवेदनाएं मर चुकी हैं। तिवारी ने कहा, 'कुव्यवस्थाओं ने हमारे हजारों छोटे भाई-बहनों को अनाथ कर दिया है। इस नाजुक वक़्त में जब बेसहारा बच्चों को किसी हाथ थामने वाले की जरूरत है, तब राज्य के क्रूर सीएम शिवराज ने उन्हें लॉटरी खेलने के लिए लाइन में खड़ा कर दिया है। सीएम शिवराज की संवेदनाएं मर चुकी हैं।' 





मामा कंस का रूप ले चुके शिवराज- NSUI



छात्र संगठन ने सीएम शिवराज की तुलना द्वापर युग के दैत्य कंस से की है। सुहृद तिवारी ने कहा, 'मामा शिवराज ने मासूम भांजे-भांजियों के लिए कंस का रूप ले लिया है। सरकारी कुव्यवस्था ने पहले बच्चों से उनके मां-बाप को छीन लिया और अब राज्य सरकार उनके करियर को बर्बाद करने पर तुली है। हम प्रदेश के मासूमों के साथ यह भद्दा मजाक नहीं होने देंगे। यदि एक-एक बच्चे को स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता है तो एनएसयूआई सीएम आवास का घेराव करेगी।' 





दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने कल नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम से निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा। निःशुल्क प्रवेश हेतु 10 जून से 30 जून तक अनाथ बच्चे आवेदन कर सकते हैं। इस लॉटरी के नतीजे 6 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।' इसके पहले राज्य और केंद्र सरकार ने सभी अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा की थी।