भोपाल। कोरोना महामारी की वजह से सभी राज्यों समेत मप्र की वित्तीय स्थिति बुरी तरह गड़बड़ा गई है। सरकार के हर महीने का खर्च करीब 6000 करोड़ रुपए है, जबकि आमद इस महीने के अंत में 4000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। यानी सीधे-सीधे 2000 करोड़ की कमी। लॉकडाउन आगे बढ़ने पर यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। इस संकट से उबरने के लिए राज्य सरकारों ने केंद्र से कर्ज लेने की सीमा बढ़ाए जाने का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार कर लिया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की वित्तीय स्थिति को दोबारा पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार पिछले साल की अपेक्षा इस साल बाजार से रिजर्व बैंक के माध्यम से 14,237 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज ले सकेगी। इसकी लिमिट 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 के बीच यानी 9 महीने के लिए तय की गई है। हालाकि यह राहत सिर्फ वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए दी गई है। इस राशि का उपयोग कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन और अन्य आधारभूत ढांचे में किया जा सकेगा। 2021-2022 में सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3.50 प्रतिशत ही कर्ज ले सकेगी।